Changes in Wakf law to protect the interests of poor Muslims and tribals : Saw
बिलासपुर : छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने नए वक्फ बोर्ड कानून को गरीब मुस्लिमों और आदिवासियों के हितों का रक्षक बताया है। उन्होंने कहा कि यह बिल हर समाज के साथ न्याय करने वाला है, न कि कट्टरपंथी वोटबैंक की राजनीति करने वालों का। उन्होंने कहा कि संवैधानिक दृष्टि से भारतीय जनता पार्टी वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार चाहती है ताकि इन संपत्तियों का दुरुपयोग न हो और उनका सही तरीके से इस्तेमाल हो। संसद के दोनों सदनों में लम्बी चर्चा के बाद पारित वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक के संबंध में श्री साव ने कहा कि ट्रांसपेरेंसी और जिम्मेदारी के लिहाज से इस वक्फ संशोधन बिल से वक्फ बोर्डों के कार्यों में अधिक पारदर्शिता और जिम्मेदारी आएगी, जिससे ये बोर्ड वक्फ की संपत्तियों के उचित उपयोग में सक्षम होंगे। भाजपा चाहती है कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग मुस्लिम समाज के फायदे यथा- शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य सामाजिक कल्याण की योजनाओं के लिए होना चाहिए। उन्होंने पुराने और नए बिल में अंतर पर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि पहले वक्फ बोर्ड की परिषद में सिर्फ मुस्लिम सदस्य के पुरुष शामिल हो सकते थे। अब वक्फ बिल पास होने के बाद परिषद में 2 मुस्लिम महिलाओं को शामिल करना अनिवार्य होगा। पहले सेक्शन 40 के तहत वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति पर दावा घोषित कर सकता था। अब वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति पर मालिकाना हक जताने से पहले सत्यापन करना अनिवार्य होगा कि वो संपत्ति वास्त में वक्फ बोर्ड की ही है। पहले वक्फ बोर्ड सरकारी संपत्ति पर भी दावा कर सकता था। अब सरकारी संपत्ति वक्फ से बाहर होगी और वक्फ बोर्ड को सरकारी संपत्ति पर मालिकाना हक नहीं मिलेगा। पहले वक्फ बोर्ड के खिलाफ सिर्फ वक्फ ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया जा सकता था। अब वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को 90 दिनों के भीतर कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। पहले वक्फ बोर्ड के खिलाफ कई बार दुरुपयोग की शिकायतें सुनने को मिलती रही हैं। अब वक्फ बोर्ड की सभी संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन जिला मुख्यालय में होगा। पहले वक्फ बोर्ड में सभी के लिए समान कानून थे। अब बोहरा और आगाखानी मुसलमानों के लिए अलग से वक्फ बोर्ड बनाया जाएगा। पहले वक्फ बोर्ड पर कुछ विशेष मुस्लिम समुदायों का कब्जा था। अब वक्फ बोर्ड में शिया और सुन्नी समेत पिछड़े वर्ग के मुस्लिम समुदायों से भी सदस्य बनेंगे। पहले सेंट्रल वक्फ काउंसिल में 3 सांसद होते थे और तीनों सांसदों का मुस्लिम होना जरूरी था। अब केंद्र सरकार तीन सांसदों को सेंट्रल वक्फ काउंसिल में रखेगी और तीनों का मुस्लिम होना अनिवार्य नहीं है। देश में रेलवे की कुल जमीन 33 लाख एकड़, सेना की 17 लाख एकड़ और वक्फ बोर्ड की 9.4 लाख एकड़ है। वक्फ के पास 1.2 लाख करोड़ रुपए कीमत की संपत्ति है। 8 अगस्त 2024 को वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में पेश किया गया था, इसके बाद इसे JPC में भेज दिया गया था। वक्फ सेंट्रल काउंसिल में 22 सदस्यों में 10 सदस्य मुस्लिम समुदाय से होंगे। अधिकतम 4 सदस्य गैर मुस्लिम होंगे। तीन सांसद होंगे। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के 2 पूर्व जज होंगे और एक एडवोकेट होंगे। देश के आदिवासियों के हित को देखते हुए शेड्यूल 5 और शेड्यूल 6 में वक्फ प्रॉपर्टी क्रिएट नहीं कर सकते हैं। वक्फ ट्रिब्यूनल में 3 सदस्य होंगे। उनका कार्यकाल 6 साल का होगा। वक्फ बोर्ड पर सबसे गंभीर सवाल यह है कि देश में सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड अलग-अलग क्यों हैं? वक्फ बोर्ड की मनमानी ऐसी है कि ताजमहल तक पर वक्फ बोर्ड ने दावा ठोक दिया है। यह मुकाबला समाज के विकास में विश्वास करने वालों और सिर्फ अपना हित साधने वालों के बीच है। इस बिल को पास करवाकर मोदी सरकार ने गरीब मुस्लिमों के हितों का संरक्षण करने के साथ साथ आदिवासियों, सरकारी जमीनों और सर्व समाज की जमीनों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया है। यह बिल हर समाज के साथ न्याय करने वाला है, न कि कट्टरपंथी वोटबैंक की राजनीति करने वालों का। प्रेस वार्ता में बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक,बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल,बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला,जिलाध्यक्ष दीपक सिंह,गुलशन ऋषि आदि उपस्थित रहे।


