
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने हत्या के आरोप में जेल में बंद एक कैदी नीरज भोई की मौत के मामले में सुनवाई करते हुए राज्य शासन से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। कैदी के शव पर कई गंभीर चोट के निशान मिले थे, जिसके बाद इसे हिरासत में हत्या का मामला मानकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नीरज भोई की मौत का कारण गला दबाना और शरीर पर 35 ताज़ा चोटें बताई गई हैं।
क्या है पूरा मामला..
महासमुंद पुलिस ने पिपरौद निवासी नीरज भोई को 12 अगस्त को गिरफ्तार कर जिला जेल भेज दिया था। जेल चिकित्सक डॉ. संजय दावे ने मेडिकल परीक्षण में उसे डिप्रेशन और क्रोनिक एल्कोहोलिक का मरीज पाया। नशे का आदी होने के कारण अगले ही दिन से वह असामान्य व्यवहार करने लगा। 13 और 14 अगस्त की रात उसे मानसिक स्वास्थ्य समस्या के नाम पर लोहे के गेट से बांधकर खुले में छोड़ दिया गया। आरोप है कि इलाज देने के बजाय उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
15 अगस्त को सुबह उसे सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। कैदी के परिजनों ने हिरासत में हत्या का आरोप लगाते हुए शिकायत की थी। 17 अगस्त 2024 की पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने इस मामले को और गंभीर बना दिया, जिसमें युवक की मौत गला दबाने से होना सामने आया। उसके शरीर पर कुल 35 ताज़ा और गंभीर चोटों के निशान थे, जिनमें से 8 आंतरिक थीं, जो जानलेवा साबित हुईं।
जेल में यातना का आरोप, हुई मजिस्ट्रेट जांच..
गिरफ्तारी के बाद जेल में दाखिल करते समय नीरज भोई के शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं पाए गए थे। ऐसे में मौत को जेल में दी गई यातना का परिणाम माना जा रहा है। शिकायत के बाद इस मामले की मजिस्ट्रेट जांच की गई, जो 31 जनवरी को पूरी हुई। अब हाईकोर्ट ने इस गंभीर मामले में शासन से जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई जून के अंतिम हफ्ते में होगी, जिस पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।

