
बिलासपुर।अरपा नदी में सेंदरी की तीन बच्चियों के डूब जाने से मौत हो गई बच्चियों के इस घटना के बाद गांव में मातम छाया हुआ है। मौत की वजह अ रपा में अवैध रेत उत्खनन से हुए गड्ढे में समा जाना है । जून के प्रथम सप्ताह में खनिज विभाग और प्रशासन का ध्यान इस अति गंभीर समस्या पर दिलाए जाने के बावजूद आंख मूंद कर की जा रही कार्यशैली का परिणाम तीन मासूमों को जान गवाकर देना पड़ा अगर इसके लिए कोई दोषी है तो सिर्फ विभाग के जवाबदार अधिकारी और अवैध उत्खनन करने वाले वह लोग बेखौफ होकर दिन-रात अर्पा में खुदाई कर रहे हैं जिसे लेकर आक्रोशित ग्रामीणों ने चक्का जाम कर दिया।
ग्राम सरपंच अक्ति राम भारद्वाज ने बताया कि अवैध खनन को लेकर कई बार कलेक्टर और संबंधित प्रशासन को शिकायत की जा चुकी है लेकिन प्रशासन ने कभी भी इसे गंभीरता से नहीं लिया सोमवार सुबह भी हरेली त्यौहार के मद्देनजर बच्चियां नदी में नहाने गई और काल के गर्त में समा गई। बताया जा रहा है की बच्चियां पहले नदी में नहाने नही जाति थी संभावना यह भी जताई जा रही है कि हरेली के दिन गांव में बैगा द्वारा पूजा पाठ करने के बाद ही नल चालू किया जाता है,जिसे देखते हुए बच्चियों ने नदी में नहाने का निर्णय लिया होगा। इसी के तहत सोमवार सुबह 9:00 बजे तीनों बच्चियां अन्य बच्चियों के साथ नदी नहाने गई जहां गहराई पर जाने से पूजा पटेल पिता सुशील पटेल 18 वर्ष रितु पटेल पिता सुशील पटेल 14 वर्ष तथा गणेश्वरी पटेल पिता मंटू पटेल 11 वर्ष की मौत हो गई।
ग्राम सरपंच ने भी इस घटना का जिम्मेदार प्रशासन को बताया । उन्होंने बताया अवैध रेत उत्खनन को लेकर कई बार कलेक्टर एवं संबंधित अधिकारियों को शिकायत की जाती है लेकिन इस पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती। उन्होंने बताया कि बीच में अ रपा बेसिन विकास प्राधिकरण के सदस्य महेश दुबे के प्रयास से अवैध रेत उत्खनन पर कार्रवाई की जाती रही, लेकिन कुछ दिन तक ही यह प्रयास कारगर रहा इसके बाद फिर अवैध रेत उत्खनन शुरू हो गया। कई बार तो अवैध रेत उत्खनन होते देख प्रशासन को सूचना भी दी जाती थी । लेकिन उन्हें जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाता है। यह भी पता चला है कि प्रशासन की पहुंचने की खबर भी रेत माफिया को पहले से ही पता चल जाता है। अल्फा बेसिन विकास प्राधिकरण के सदस्य महेश दुबे ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि अगर समय रहते प्रशासन सजग होता तो तीन मासूम बच्चियों की जान बच सकती थी।आखिरकार प्रशासन की चुप्पी और रेत माफिया के बढ़ते हौसले का हिसाब तीन बच्चियों को अपनी जान गवाकार चुकाना पड़ा।

