
मुफ्त जानकर भर देते हैं फॉर्म नहीं पहुंचते परीक्षा देने।
बिलासपुर। अपनी सरकार में प्रतियोगी परीक्षाओं को मुफ्त कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भले ही इसे कांग्रेस सरकार की उपलब्धि बताकर युवाओं का दिल जीतने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन मुफ्त की किसी चीज की कदर नहीं होती। यह बात प्रतियोगी परीक्षाओं में फॉर्म भरने वाले उम्मीदवार साबित कर रहे हैं।
जब से छत्तीसगढ़ में प्रतियोगी परीक्षाओं को मुक्त किया गया है। यह देखा गया है कि परीक्षा के दिन बहुत कम संख्या में परीक्षार्थी परीक्षा केंद्रों तक पहुंचते हैं। 9 जुलाई को नगर के विभिन्न केंद्रों में दोनों परीक्षा हुई। प्री एमसीए और प्री बीएससी बीएड परीक्षा। इन दोनों परीक्षाओं में हर परीक्षा की तरह परीक्षार्थियों की उपस्थिति बेहद कम रही। सरस्वती शिशु मंदिर तिलक नगर सेंटर में सुबह की पाली में 143 में से 24 और दोपहर की पाली में 300 में से मात्र 56 परीक्षार्थी ही उपस्थित हुए। सुबह हुई एमसीए परीक्षा में कुछ कमरे तो ऐसे रहे जिसमें एक भी परीक्षार्थी परीक्षा देने के लिए उपस्थित नहीं हुआ।
इस तरह से मुफ्त की परीक्षाओं का युवा परीक्षार्थियों के द्वारा मजाक बनाया जा रहा है। परीक्षाओं को मुक्त जानकर परीक्षार्थी परीक्षा फॉर्म तो भर देते हैं। इसके आधार पर छत्तीसगढ़ व्यवसायिक परीक्षा मंडल के द्वारा प्रश्न पत्रों के साथ उत्तर पुस्तिका की छपाई , परीक्षा केंद्रों का निर्धारण किया जाता है। परीक्षा के कार्य में लगे अधिकारियों और कर्मचारियों को मानदेय की व्यवस्था और वितरण सामग्री की सफाई के लिए धनराशि की व्यवस्था भी की जाती है। परीक्षार्थियों के नहीं आने के कारण बड़ी संख्या में प्रश्न पुस्तिका आंसरशीट बेकार होकर रद्दी में चली जाती है। इस नुकसान को देखते हुए शिक्षक संस्कार श्रीवास्तव प्रतीक वर्मा ओम प्रकाश वर्मा संतोष पैठणकर उमाशंकर सोनी प्रकाश कश्यप केके गुप्ता आदि ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह छत्तीसगढ़ व्यवसायिक परीक्षा मंडल के अधिकारियों से सभी तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं में परीक्षा शुल्क लेने की परंपरा फिर से शुरू करने की मांग की है। परीक्षा फार्म में पैसा नहीं लगने के कारण बड़ी संख्या में आवेदन फॉर्म भर देते हैं लेकिन वे परीक्षा में शामिल नहीं होते हैं। आए दिन होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में यह देखने को मिल रहा है। साफ है कि मुफ्त में ली जाने वाली परीक्षा का मूल्य आवेदक नहीं समझ रहे हैं।

