बिलासपुर। शुक्रवार को नहाय- खाय के साथ लोक पर्व छठ का आरंभ हो गया। इसके लिए बिलासपुर का छठ घाट सज- धज कर तैयार है। विगत 12 वर्षों की भांति इस वर्ष भी आयोजन के प्रथम दिवस शुक्रवार शाम अरपा नदी की के प्रति आभार प्रकट करने के लिए छठ पूजा समिति द्बारा अरपा मैया की महा आरती का आयोजन किया गया । प्रेम दास महाराज ब्रह्मा बाबा के सानिध्य में यह महा आरती की गई । इस अवसर पर वैदिक मंत्रो का सस्वर पाठ किया गया। अग्रसेन समाज के अध्यक्ष राम अवतार अग्रवाल, सिधी समाज के अध्यक्ष धनराज आहूजा और गुजराती समाज के अध्यक्ष अरविद भानूशाली की गरिमा मयी उपस्थिति में गंगा मैया की तर्ज पर अरपा मैया की महा आरती की गई। बिलासपुर के प्रसिद्ध गायक आंचल शर्मा के स्वर में अरपा मैया की आरती से छठ घाट गूंज उठा ।
इस वर्ष बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी इस महाआरती में सम्मिलित हुए
अरपा मैया की महा आरती में छठ पूजा समिति के अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र दास, कार्यकारी अध्यक्ष अभय नारायण राय, सचिव विजय ओझा, संरक्षक एचपीएस चौहान, एसपी सिह , डॉक्टर बृजेश सिह, व्ही एन झा, आरपी सिह, कमलेश चौधरी एसके सिह, लव कुमार ओझा, विनोद सिह, डॉक्टर कुमुद रंजन सिह, दिलीप चौधरी ,धनंजय झा आदि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। इस मौके पर भारत स्काउट एंड गाइड के 51 वॉलिटियर्स ने आयोजन के संचालन में अपना महत्वपूर्ण सहयोग दिया, जिनका नेतृत्व दिलीप स्वाईं द्बारा किया गया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं द्बारा 11,००० दीपदान किया गया। दीपदान के पश्चात अरपा नदी में तैरते और टिमटिमाते दीपको देखते ही बन रहा था। जिसे देखने बड़ी संख्या में महिलाएं बच्चे उपस्थित रहे।
19 नवंबर की शाम को सूर्य देव को अघ्र्य प्रदान किया जाएगा। इसकी तैयारी में सभी जुट गए हैं । छठ पूजा के लिए विशेष प्रसाद ठेकुआ, कचवनिया आदि तैयार किये जा रहे हैं। छठ पूजा के लिए घर के पुरुष सदस्य बांस की बनी हुई टोकरी दउरा में पांच प्रकार के फल ,नारियल, कंद, सब्जी पूजन सामग्री आदि सर पर लेकर घाट में पहुंचते हैं । रास्ते भर महिलाएं छठ गीत गाते हुए साथ चलती है। नदी या तलाब के किनारे पहुंच कर नदी के मिट्टी से ही छठ माता का चौरा बनाया जाता है। गन्ने से मंडप बनाकर पूजा का सारा सामान चौरा पर रखते हैं। नारियल चढ़ाकर दीप जलाते हुए सूर्य देव की पूजा अर्चना घुटने तक पानी में खड़े होकर की जाती है। इसी के साथ ही डूबते हुए सूर्य देव को जल एवं दूध का अघ्र्य देकर 5 बार परिक्रमा की जाती है।
शाम की पूजा के पश्चात घर के पूर्व सदस्य वापस दउरा को सर पर रखकर घर लौट जाते हैं । वहीं अगले देश सूर्य उदय के पहले ही घाट में वापस पहुंचकर पूर्व मुखी होकर उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसे उषा अर्घ्य कहते हैं । सूर्य देव को अघ्र्य देने के बाद घाट पर प्रसाद वितरण कर व्रती घर आते हैं। घर में भी अपने परिवार के सदस्यों को प्रसाद वितरण किया जाता है । घर के पास पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है। इसके पश्चात ही व्रती कच्चे दूध का शरबत पीकर और थोड़ा सा प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण करते हैं। बिलासपुर के तोरवा छठ घाट में करीब 5०,००० लोगों इस अवसर पर जुटते हैं । छठ पूजा समिति द्बारा यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए पाîकग समेत विशेष व्यवस्था की गई है। व्रतियों के लिए निशुल्क दूध के अलावा सभी के लिए निशुल्क चाय सेवा, भंडारा, पुलिस और फस्र्ट एड की सुविधा भी दी जाएगी ।


