बिलासपुर। बिलासपुर संभाग में स्वास्थ्य सेवाओं को अत्याधुनिक बनाने का सपना अधर में लटका हुआ है। चिकित्सा के क्षेत्र में भले ही यहां सिम्स मेडिकल कॉलेज और मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल कोनी जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जैसी उच्चस्तरीय सरकारी अस्पताल की कमी साफ खल रही है। दो साल पहले बिलासपुर में एम्स की स्थापना को लेकर शासन स्तर पर काफी हलचल थी, लेकिन अब यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया है, जिससे पूरे संभाग के लोग हाई लेवल के इलाज से वंचित हो रहे हैं। अगर बिलासपुर को एम्स की सौगात मिलती है, तो यह स्वास्थ्य सेवाओं में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
बिलासपुर में एम्स जैसे संस्थान के अभाव में गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को इलाज के लिए रायपुर स्थित एम्स जाना पड़ता है। आवागमन में दूरी व मरीजों की बढ़ती संख्या के दबाव के कारण दूर दराज वाले मरीजों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। लंबी लाइन देखकर कई बार मरीज बिना जांच कराए भी वापस लौट जाते हैं। रायपुर में प्रदेश के सभी जिलों के मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं। दो साल पहले शासन स्तर पर बिलासपुर में एम्स की स्थापना को लेकर चर्चा हुई थी। बजट सत्र में भी इस विषय पर बहस चली। तब बिलासपुर संभाग के पक्ष-विपक्ष के विधायकों ने समर्थन दिए थे। राज्य शासन द्वारा केंद्र सरकार को एम्स की सुविधा देने के लिए पत्राचार भी किया जा चुका है। इसके बाद एम्स का मामला ठंडे बस्ते पर चला गया है, जिससे बिलासपुर संभाग के लोग एक उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हैं। अगर राज्य सरकार फिर से एम्स को लेकर प्रयास करती है तो केंद्र सरकार की ओर से बिलासपुर संभाग को बड़ी संस्थान की सौगात मिल सकती है।
दूसरा बड़ा आबादी वाला संभाग है बिलासपुर..
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ही एम्स की सुविधा है। इसलिए दूसरे जिलों के मरीजों को रायपुर एम्स भेजना पड़ता है। बिलासपुर और सरगुजा संभाग में करीब डेढ़ करोड़ की आबादी है। यहां एम्स खोला जाना चाहिए। जनसंख्या के दृष्टिकोण से बिलासपुर संभाग प्रदेश में दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला संभाग है।
चार राज्यों के मरीजों को मिलेगा लाभ..
बिलासपुर में एम्स की स्थापना से बिलासपुर, मुंगेली, कोरबा, रायगढ़, जांजगीर-चांपा एवं गौरेला पेंड्रा मरवाही के साथ ही सरगुजा संभाग के 6 जिले के लोग लाभान्वित होंगे। साथ ही राज्य उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड और ओडिशा के नागरिक भी चिकित्सा सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।
एम्स की स्थापना से सरकारी अस्पतालों पर कम होगा दबाव..
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान केवल एक अस्पताल नहीं, बल्कि चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और उच्च स्तरीय उपचार का केंद्र होता है। सस्ती और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाओं के साथ ही लाखों जरूरतमंद मरीजों के लिए जीवन रक्षक भी हैं। जहां एम्स स्थापित होता है, वहां सरकारी अस्पतालों पर दबाव कम होता है और मरीजों को बेहतर इलाज मिलता है।
सिम्स डीन बोले: एम्स से मिलेगी बड़ी राहत, चिकित्सा व अनुसंधान में होगा फायदा
डॉ. रमनेश मूर्ति, डीन सिम्स, ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए कहा कि, “कुछ समय पहले शासन स्तर पर बिलासपुर में एम्स की स्थापना को लेकर गंभीरता से विचार किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि यदि जिले में एम्स की सुविधा मिल जाती है, तो यह न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति लाएगा, बल्कि शिक्षा और अनुसंधान में भी भारी फायदा मिलेगा। डॉ. मूर्ति ने उम्मीद जताई कि एम्स के आने से अन्य चिकित्सा संस्थानों पर इलाज का दबाव भी कम होगा, जिससे मरीजों को और भी बेहतर सुविधा मिल पाएगी। बिलासपुर और आसपास के लाखों लोगों की निगाहें अब एक बार फिर इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर टिक गई हैं, उम्मीद है कि सरकार इस पर फिर से गंभीरता से विचार करेगी।

