Why are food officers afraid of checking ration cards made at midnight? Why are food controllers avoiding giving information? Officers are putting the department at stake for their favorite employee?

बिलासपुर / जिले के खाद्य विभाग में हो रहे गोलमाल की खबर लगाकर आधिकारियों की नींद खोलना भी अब अपराध बन चुका है, जनता के हक और सच्चाई के लिए आवाज़ उठाने वाले पर भदौरिया साहब नोटिस का हंटर चलाने लगे हैं, इसलिए तो बार बार विभाग में पहले भ्रष्टाचार और उनके करीबी कर्मचारियों के खिलाफ खबर लगने के बाद में मामले में जांच करने के बजाय मामले को दबाकर आवाज उठाने वाले पत्रकार को नोटिस भेजने का काम कर रहे हैं।
दरअसल बिलासपुर खाद्य विभाग में लगातार भ्रष्टाचार के मामले उजागर हो रहे हैं इतना ही नहीं अंधेर नगरी चौपट राजा के तर्ज पर विभाग के कर्मचारी काम कर रहे हैं कि इसी का नतीजा है कि दिनभर नाम जुड़वाने और अन्य कामों के लिए अपनी जूते घिसने वाले लोगों का काम नहीं हो पा रहा है और उन्हें जनदर्शन में कलेक्टर के पास शिकायत लेकर जानी पड़ रही है,लेकिन दूसरी तरफ आधी रात को खाद्य विभाग के जिम्मेदार कर्मचारियों नया राशन कार्ड बना दे रहे हैं इतना ही नहीं अंधाधुन नाम जोड़ने का काम भी रात दिन जारी है।
खाद्य नियंत्रक की आईडी से आधी रात राशन कार्ड बन जाने के मामले पर खाद्य नियंत्रक अनुराग भदौरिया से जानकारी ली गई थी, लेकिन मामले की जांच करते हैं कहकर वे छुट्टी पर चले गए और आने के बाद ना उन्होंने मुद्दे पर ध्यान दिया और ना ही मामले में जांच करना जरूरी समझा।इतना ही नहीं इस मामले को लेकर जब बिलासपुर अवनीश शरण से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने खाद्य अधिकारी पर जिम्मेदारी डाल दी, इसके बाद लगातार खाद्य अधिकारी अपने राशन कार्ड शाखा के प्रभारी रूपेंद्र बंजारे पर विशेष कृपा बरसाए हुए हैं और मामले की जांच करना छोड़ मामले को उजागर करने वालों को ही नोटिस भेजने में लगे हुए हैं।
पिछले कुछ समय में लगातार खाद्य विभाग में गोलमाल और उसमें संरक्षण का मामला सामने आता रहा है लेकिन इसके बावजूद भी कार्रवाई करने के बजाय संरक्षण देकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का काम अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है। ऐसे में उम्मीद लगाई जा सकती है कि, भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर भाजपा सत्ता में बैठी थी और नेता अधिकारियों पर नकेल करने की बात कहते थे, लेकिन अब नकेल कसना तो दूर की बात मामलों को जांच करने की जरूरत भी अधिकारी नहीं उठा रहे हैं ऐसे में राम भरोसे चल रहा है विभाग कितने अच्छे तरीके से जनता की सेवा कर पा रहे हैं यह सोचने वाली बात है।अधिकारी जितनी शक्ति के साथ मामले में पर्दा डालकर आवाज उठाने वालों के खिलाफ नोटिस का आसरा ले रहे है, शायद उसे आधी ताकत भी मामले की जांच करने में लगाते तो विभाग के ऊपर उठ रहे सवाल बंद हो जाते लेकिन अधिकारी को अपने चाहतों को संरक्षण देने की आदत क्यों खत्म नहीं होती यह सोचने वाली बात है।

