
हे श्रम साधक तुम्हे प्रणाम, तुम ना होते कैसे होते इस दुनिया के काम
बिलासपुर।राष्ट्रीय कवि संगम, संस्कार भारती एवं रेलवे महाराष्ट्र मंडल बिलासपुर के संयुक्त तत्त्वावधान में विश्व मजदूर दिवस एवं महाराष्ट्र दिवस के अवसर पर एक साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन डा. विनय कुमार पाठक पूर्व अध्यक्ष राजभाषा आयोग छ. ग. के मुख्य आतिथ्य, महेंद्र कुमार साहू कार्यक्रम अधिकारी आकाशवाणी बिलासपुर की अध्यक्षता एवं श्री राघवेन्द्र दुबे संरक्षक राष्ट्रीय कवि संगम बिलासपुर के विशिष्ट आतिथ्य में रेलवे महाराष्ट्र मंडल टिकरापारा बिलासपुर में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुवात मां भारती के छायाचित्र पर दीप प्रज्वलन कर किया गया। स्वागत पश्चात साहित्य गोष्ठी की शुरुवात मनोहर दास मानिकपुरी के गीत ” देंह करिया लगे दाग दिख जाहि” से हुई, राजेश सोनार के गीत ” मोर छत्तीसगढ़ महतारी” ने खूब तालियां बटोरी, अजय शर्मा ने ” मैं मजदूर मेरी अजब कहानी”, संध्या शुक्ला ने ” मेरे शैनिको ने फिर अपनी जा गंवाई है” अशरफी लाल सोनी ने हास्य व्यंग ” लालू भईसन मांगे चारा”, दिनेश तिवारी ने “कितने नैनो से नीर बहे”, कांची बाजपेई ने ” मजदूरों को हटा कर देखो साहब ये दुनिया वीरान लगेगी”, डा संगीता बंजारा ने ” किस्मत से मजबूर हु हा मैं मजदूर हु”, आशा चंद्राकर ने “खुला अंबर छत जिनका बिछौना जिनकी धरा है”, विश्वनाथ कश्यप ने ” आगी बरसत खार मा, पानी बरसत आषाढ़ मा”, सुभा भौमिक ने ” उभरते है कुछ मन की मस्तियों के चित्र”, सीमा भट्टाचार्य ने “पूरब से सूर्य उगा”, प्रदीप निर्णेजक ने ” ऐ भूख अब मत मचल”, बामन चंद्र दीक्षित ने ” कभी कोई तो कहेगा”, संतोष शर्मा ने “मेरे मार्ग पर चलकर तो देख”, अंजनी कुमार तिवारी ने ” मन का कांवर धरे खांध पर” , डा बिरथरे जी ने ” हे श्रम साधक तुम्हे प्रणाम, तुम ना होते कैसे होते इस दुनिया के काम” , राघवेन्द्र दुबे ने ” हम मजदूर है बनाने किसी का घर चले, अपना घर द्वार छोड़ किसी के घर चले” बालमुकुंद श्रीवास ने “खून, पसीना जांगर लगाके, महल अटारी बनाथव छितकी कुरिया बोरे बासी, अहि मा काम चलाथव” काव्य की प्रस्तुति देकर मजदूर दिवस पर श्रमिको की निष्ठा समर्पण व परिश्रम को याद किया। मुख्य अभ्यागत डा. विनय कुमार पाठक ने आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि श्रमिको कि वजह से ही आज हम सभी जीवन जी रहे है, उन्हे सम्मान देना हम सभी का दायित्व है, विशिष्ट अभ्यागत श्री राघवेन्द्र दुबे ने कहा कि मजदूर दिवस पर उन श्रमिको को साहित्यकारों द्वारा याद करते हुए काव्यपाठ किया गया जो कि प्रशंसनीय है। अध्यक्ष श्री महेंद्र साहू ने इस तरह के साहित्यिक आयोजनों को करते रहने की बात कही। इस अवसर पर साहित्यकारों ने शहर में एक साहित्य भवन होने की आवश्यकता महसूस कि जिसमे शहर के रचनाकार अपनी नियमित आयोजनों को संपन्न कर सके, साथ शहर में बाल रचनाकारों को भी प्रोत्साहित करने, उनके लिए कार्यशाला आयोजित कर प्रशिक्षण देने, बाल कवि सम्मेलन आयोजित करने जैसी योजनाओं पर भी चर्चा हुई, इस हेतु नगर के ऐसे बाल रचनाकारों को जोड़ने की बात की गई को कविता लेखन या पठन में रुचि रखते है। कार्यक्रम का सफल संचालन बालमुकुंद श्रीवास ने एवं आभार प्रदर्शन इकाई अध्यक्ष अंजनी कुमार तिवारी ने किया अंत में बस्तर के अमर शहीद जवानों को मौन श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम में शिरीष पागे, नीरज जोशी, गजानन फड़के, भुनेश्वर चंद्राकर, विश्वनाथ कश्यप, रजनी सेवालकर, घनश्याम नायक, डा अभिषेक जैन, नारायण जोशी, अनिल कायरकर, राव जी, विकास बाजपेई विशेष रूप से उपस्थित थे।

