
बिलासपुर। घर से गायब हुए बच्चों को उनके माता-पिता खोजते-खोजते थक गए, जब नहीं मिला तो वे अपने बच्चों का इस दुनिया में होने की उम्मीद खत्म हो चुकी थी। तलाश करना भी छोड दिए थे। ऐसे बच्चों को चाइल्ड लाइन, पुलिस विभाग, बाल कल्याण समिति के अधिकारी व कर्मचारियों के अथक प्रयास व महेनत से देश के कोने-कोने से बच्चों को सुरक्षित निकालकर उनके माता-पिता से मिलवाएं। कई सालो बात बच्चों को पाकर माता-पिता के चेहरे में खुशियां लौट आईं।
बिलासपुर बाल कल्याण समिति के प्रयास से अंतर्राजीय बालक ,बालिकाओं का सामाजिक एकीकरण और पारिवारिक पुनर्वास बेहतरीन तरीके से हो रहा है। समिति के अध्यक्ष असीम कुमार मुखर्जी के नेतृत्व में सदस्य हेमंत कुमार चंद्राकर, रीता राजगीर डा. आरती सिंह के अलावा चाइल्ड लाइन, पुलिस विभाग
बालक व बालिकाओं के सर्वोत्तम हित में काम कर रहे हैं। बालको के पुनर्वास की व्यवस्था की जा रही हैं।
बाल कल्याण समिति बिलासपुर द्वारा लगातार बेहतरीन काम का समन्वय दिखाते हुए बालकों के हित पर निहितार्थ पारिवारिक पुनर्वास एवं सामाजिक एकीकरण के लिए प्रयास कर रहे हैं। जिसमें जिला बाल संरक्षण इकाई से उमाशंकर गुप्ता एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी तारकेश्वर सिन्हा एवं नोडल बाल कल्याण समिति गोवर्धनदास दिवस सुरक्षित बरामद बच्चों को तत्काल उनके माता-पिता तक पहुंचा रहे हैं।
केस 0 1
बालक 2018 में एक बच्चा अपने घर से भटक कर बिलासपुर पहुंच गया। रेलवे चाइल्ड लाइन द्वारा बालक को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। बालक तभी से संस्थागत संरक्षण में अलग-अलग संस्थाओं में निवासरत रहा। बालक को दत्तक ग्रहण के लिए विधिक रूप से निर्मुक्त भी कर दिया गया था। इसके बाद बालक कुछ माह फोस्टर केयर में भी रहा। ये बालक का पारिवारिक पुनर्वास एवं सामाजिक एकीकरण माह जनवरी 2023 में बाल कल्याण समिति द्वारा किया गया। बालक मूलतः छतरपुर मध्यप्रदेश का रहने वाला था, जो छुट्टियों में अपनी बुआ के यहां घूमने रायपुर आया था और रास्ता भटक कर वह बिलासपुर ट्रेन से पहुंच गया। साल 2018 को रायपुर के पुलिस थाना में अपराध दर्ज कराया गया था। बाल संरक्षण इकाई के अधिकारियों ने बालक को सुरक्षित बरामद कर परिवार के साथ मिलवाया।
केस नंबर 2
एक मंदबुद्धि बालक को रायपुर के एक जागरूक नागरिक ने चाइल्ड लाइन के सुपुर्द 24 जून 2022 को किया था। बालक अपना नाम और पिता के नाम के अलावा सिर्फ संभल बोल रहा था। बाल कल्याण समिति की सदस्य डा. आरती सिंह ने संभल को जिला संभल उत्तर प्रदेश समझते हुए वहां के प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत करते हुए बालक की फोटो जिला कार्यक्रम अधिकारी संभल को भेजा गया। इसके। दो दिन बाद बालक का प्रकरण एक थाने में दर्ज हुआ। समिति ने बालक के सर्वोत्तम हित में उत्तर प्रदेश पुलिस से समन्वय स्थापित करते हुए बालक के सामाजिक एकीकरण की दिशा में बालक को उसके गृह जिले संभल भेजने हेतु इंतजाम किया इस प्रकार एक बालक जिसका सामाजिक एकीकरण एवं पारिवारिक पुनर्वास मुश्किल था वह समिति के अथक प्रयासों से संभव हो पाया और बालक जब समिति के समक्ष प्रस्तुत हुआ था उस समय वह 17 वर्ष 10 माह का था एवं समिति से अपने घर जाने के समय दिनांक 01फरवरी 2022 वह 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका था।
केस क्रमांक 3
एक बालक पश्चिम बंगाल से भटक कर छत्तीसगढ़ 2019 में पहुंचता है एवं वहां अलग-अलग संस्थाओं में संस्थागत संरक्षण में रहता है बालक का पारिवारिक पुनर्वास मुश्किल था क्योंकि बालक मातृभाषा बंगाली लगभग भूल चुका था एवं पश्चिम बंगाल की बाल कल्याण समितियों ने बालक को गृह राज्य में लेने से मना कर दिया था। बाल कल्याण समिति बिलासपुर ने शानदार टीमवर्क का परिचय देते हुए बालक के विषय में संपूर्ण जानकारी एकत्रित करते हुए बालक का हावड़ा ग्रामीण में 2018/19 में एक एफ आई आर होना पाया तथा उक्त एफ आई आर के आधार पर समिति ने लगातार पत्राचार करते हुए हावड़ा बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष एवं सदस्यों से निवेदन करते हुए बालक को बिलासपुर पुलिस की सहायता से उसके गृह राज्य भेजने में सफलता प्राप्त की है।
केस क्रमांक 4
एक बालिका को रेलवे चाइल्ड लाइन द्वारा समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया उक्त बालिका सभी को भ्रामक जानकारियां देती हुई खुद को राजस्थान का होना बताया। बाद में जानकारी दी कि वह जमशेदपुर से आई है परंतु उसकी भाषाएं अंदाज से समिति ने पाया कि वह बालिका बिहार के दरभंगा हाजीपुर भागलपुर बेगूसराय सीतामढ़ी इत्यादि से संबंधित हो सकती है तत्काल दरभंगा सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष झा से बात कर बालिका को उसके मातृभाषा में बात करवाया गया तथा बालिका के विषय में जानकारी एकत्रित कर बालिका को पारिवारिक पुनर्वास के लिए बिहार भेजा गया है।

