
बिलासपुर। 5 और 6 मई की दरमियानी रात होने वाला उपच्छाया या प्रतिच्छाया चंद्रग्रहण की खगोलीय घटना हो रही है। भारतीय समय के अनुसार इस चंद्रग्रहण का प्रारंभ 5 मई की रात्रि 8 बजकर 42 मिनट 3 सेकंड से शुरू होगा।
खगोलशास्त्र ज्ञान विज्ञान रुचिकर संघ ने स्कूली शिक्षकों और बच्चों को इस घटना को देखने के लिए प्रेरित किया है। संघ के संस्कार श्रीवास्तव ने बताया कि चंद्रग्रहण की मध्य की स्थिति रात्रि 10:53 बजे पर रहेगी। इस समय चंद्रमा का 98 प्रतिशत भाग पृथ्वी की उपच्छाया वाले भाग पर आ जाएगा। मोक्ष की स्थिति अगला दिन 6 मई लगते ही रात्रि 1 बजकर 03 मिनट 07 सेकंड पर निर्मित होगी। यह चंद्रग्रहण भारत के सभी भागों में देखा जा सकेगा। यह उपच्छाया प्रकार का चंद्रग्रहण है जिसमें चंद्रमा का कोई भी भाग पृथ्वी की वास्तविक छाया से नहीं ढ़कता है। इसकी वजह चंद्रमा पृथ्वी के ऊपर छाया वाले भाग से गुजरता है जिसके कारण चंद्रमा का प्रकाश धीरे-धीरे मध्यम होने लगता है और मोक्ष के बाद फिर से पूरी तरह से अपनी वास्तविक आभा के साथ चंद्रमा चमकता हुआ दिखाई देने लगता है। इसी कारण उपच्छाया या प्रतिच्छाया चंद्रग्रहण को सामान्यतया ग्रहण के रूप में मान्यता नहीं दी जाती है। उपच्छाया चंद्र ग्रहण शहर के आसमान पर रात को 8:42 के आसपास देखा जा सकेगा। रात्रि 10:53 तक चंद्रमा के प्रकाश को धीरे-धीरे कम होता हुआ देखा जा सकता है। इसके बाद चंद्रमा का प्रकाश बढ़ना फिर से शुरू हो जाएगा। सरस्वती शिक्षा संस्थान विद्या भारती ने प्रांत के सभी सरस्वती शिशु मंदिरों के शिक्षकों छात्र-छात्राओं से इस तरह के चंद्रग्रहण से भली-भांति अवगत होने की प्रेरणा दी है।

