Congress’s attack against Apollo’s ‘Yamdoot’ and management, announcement of Justice March..
बिलासपुर। मध्य प्रदेश के दमोह में फर्जी डॉक्टर के खुलासे के बाद बिलासपुर का अपोलो अस्पताल भी सवालों के घेरे में आ गया है।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि अपोलो प्रबंधन ने फर्जी डिग्रीधारी डॉक्टर को नियुक्त कर मरीजों की जान से खिलवाड़ किया और इलाज के नाम पर लाखों की उगाही की। इस मामले में कार्रवाई की मांग करते हुए कांग्रेस ने अपोलो अस्पताल से कलेक्ट्रेट तक ‘न्याय मार्च’ निकालने का ऐलान किया है।
जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अपोलो में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नरेंद्र विक्रमादित्य यादव की नियुक्ति के दौरान पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल समेत कई लोगों की मौत हुई। उन्होंने सवाल उठाया कि जब आईएमए के तत्कालीन अध्यक्ष ने जांच के बाद अपोलो प्रबंधन और राज्य शासन को डॉ. विक्रमादित्य की डिग्री को लेकर रिपोर्ट सौंप दी थी, तो कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
कांग्रेस का आरोप है कि अगर सरकार ने समय पर कार्रवाई की होती तो दमोह में हुई आठ मौतों को टाला जा सकता था।
कांग्रेस ने अपोलो प्रबंधन, समूह के आला अधिकारियों और तत्कालीन सीएमएचओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है। इसके लिए कांग्रेस भवन में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें न्याय मार्च की रूपरेखा, रूटचार्ट और जनभागीदारी पर चर्चा हुई। आंदोलन को सफल बनाने के लिए 6 सदस्यीय कमेटी का गठन भी किया गया है।
यह पहली बार नहीं है जब अपोलो अस्पताल विवादों में घिरा है। इससे पहले भी पूर्व मंत्री और नगर विधायक के करीबी पूर्व महापौर अशोक पिंगले की मौत पर लापरवाही का आरोप लगा था। उस समय भी अपोलो पर बिना जरूरत लोगों को हार्ट प्रॉब्लम बताकर सर्जरी करने का आरोप लगा था, जिससे लोगों में भारी आक्रोश था। बावजूद इसके, अपोलो पर शासन-प्रशासन का कोई डर नजर नहीं आता। बेलतरा विधायक की चेतावनी और स्वास्थ्य विभाग के पत्र को भी अस्पताल प्रबंधन ने अनसुना कर दिया।
कांग्रेस ने अपोलो प्रबंधन से कई सवाल पूछे हैं: बिना डिग्री की जांच किए डॉ. नरेंद्र विक्रमादित्य को कैसे नियुक्त किया गया?
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की मृत्यु के लिए जिम्मेदार डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई?
फर्जी डॉक्टर की सेवा लेने के मामले में अपोलो अस्पताल प्रबंधन के उच्चाधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?
अपोलो अस्पताल में शासन की आयुष्मान योजना को लागू क्यों नहीं किया जा रहा है?
पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ल के अलावा और कितने लोगों का उस फर्जी डॉक्टर ने इलाज किया, इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही है?
वर्तमान में अपोलो अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों और टेक्निकल स्टाफ की डिग्री को सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है?
जिलाध्यक्ष ने कहा कि बिलासपुर जिले में न केवल अपोलो, बल्कि सिम्स और जिला अस्पताल समेत तमाम स्वास्थ्य सेवाओं की हालत चिंताजनक है। लोग इलाज कराने की जगह मोटी रकम चुकाने और मौत खरीदने को मजबूर हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि बिलासपुर जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को नोट छापने की फैक्ट्री क्यों बना दिया गया है। अब देखना होगा कि कांग्रेस के इस आंदोलन का क्या असर होता है और क्या अपोलो प्रबंधन पर कोई कार्रवाई होती है।

