शिक्षा विभाग में स्थानांतरण प्रक्रिया पर उठे सवाल, अधिकारियों ने झाड़ा पल्ला..
बिलासपुर। जिले के शिक्षा विभाग में एक बार फिर ‘अतिशेष’ शिक्षकों के स्थानांतरण को लेकर गंभीर अनियमितताओं की बात सामने आई है। बिल्हा ब्लॉक के तिफरा हायर सेकेंडरी स्कूल में पदस्थ व्यायाम शिक्षक हिमांशु पुनवा का नाम उस ‘अतिशेष वरीयता सूची’ से गायब है, जिसमें उनके नाम का होना शासन के नियमानुसार अनिवार्य था। इस गड़बड़ी को लेकर विभागीय कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं और बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार की आशंका भी जताई जा रही है।
नियमों के विरुद्ध दो व्यायाम शिक्षक, फिर भी नाम गायब..

शासकीय नियम के अनुसार किसी भी हायर सेकेंडरी स्कूल में केवल एक व्यायाम शिक्षक की नियुक्ति हो सकती है। इसके बावजूद तिफरा स्कूल में दो व्यायाम शिक्षक कार्यरत हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से हिमांशु पुनवा का नाम अतिशेष सूची में शामिल नहीं किया गया, जबकि उनका वेतन हायर सेकेंडरी स्कूल सेलर से जारी हो रहा है,जो स्पष्ट करता है कि वे तिफरा में “अतिशेष” हैं।
प्राचार्य पर नाम छुपाने का आरोप..
सूत्रों के अनुसार, तिफरा हायर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य द्वारा जानबूझकर हिमांशु पुनवा का नाम सूची से छुपाया गया, जिससे उनकी अनियमित प्रतिनियुक्ति बरकरार रह सके। यह कदम न केवल विभागीय नियमों का उल्लंघन है, बल्कि इसमें किसी लाभ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, जिससे भ्रष्टाचार की आशंका को बल मिलता है।
अधिकारियों ने दी टालमटोल वाली प्रतिक्रिया..

जब इस प्रकरण पर जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) अनिल तिवारी से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने अनभिज्ञता जताते हुए कहा,मुझे मामले की जानकारी नहीं है। मैं फिलहाल गौरेला-पेंड्रा-मरवाही का प्रभार भी देख रहा हूं। मामला सामने आया है तो मैं देखूंगा।
वहीं, खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि,”सूची तो जिले से आई थी, हमने तो केवल आगे बढ़ाया है।”
जिम्मेदारी तय होगी या मामला दब जाएगा?
यह विशेष रूप से चिंताजनक है कि तिफरा स्कूल से जिन दो व्यायाम शिक्षकों के नाम सूची में दिए गए हैं, उनमें हिमांशु पुनवा का नाम नहीं है जबकि वह वास्तविक रूप से उस विद्यालय में कार्यरत हैं और दूसरे स्थान से वेतन प्राप्त कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर सूची बनाने में किन्हें फायदा पहुंचाने की मंशा थी? और क्या इस पूरे मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है?
स्थानीय शिक्षकों और कर्मचारी संगठनों ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि अगर इस तरह की गड़बड़ियों को नजरअंदाज किया गया, तो स्थानांतरण प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग जाएगा।

