राजसात आदेश पर हाई कोर्ट का स्टे: 19 एकड़ जमीन पर जल्दबाजी दिखाना निगम को पड़ा महंगा..

बिलासपुर। तिफरा सेक्टर-डी की 19 एकड़ बहुमूल्य भूमि पर नगर निगम की जल्दबाजी उसे भारी पड़ गई। हाई कोर्ट ने निगम की उस कार्रवाई पर तत्काल रोक (स्टे) लगा दी है, जिसमें उसने अदालत में सुनवाई से कुछ ही घंटे पहले कॉलोनी को राजसात घोषित कर दिया था। जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू की बेंच ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसी जल्दबाजी न्यायिक प्रक्रिया को कमजोर करती है।

सुनवाई से पहले ही निगम ने जारी कर दिया आदेश..

हाई कोर्ट रिकॉर्ड के अनुसार, 4 नवंबर को नोटिस जारी होने के बाद नगर निगम ने 12 नवंबर को ही अपना जवाब कोर्ट में पेश कर दिया था। इसका मतलब था कि मामला न्यायालय के सामने लंबित था और सुनवाई के लिए तारीख तय हो चुकी थी। इसके बावजूद, गुरुवार सुबह निगम ने विवादित जमीन को राजसात करने का आदेश जारी कर दिया।

याचिकाकर्ता सुरेंद्र जायसवाल ने हाई कोर्ट में दलील दी कि यह आदेश जानबूझकर जल्दबाजी में जारी किया गया ताकि सुनवाई से पहले ही जमीन पर कब्जा लिया जा सके। दोपहर की सुनवाई में अदालत ने निगम की कार्रवाई पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए तत्काल रोक लगा दी।

राजसात आदेश पर रोक, न्यायिक प्रक्रिया के उल्लंघन का सवाल..

जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू की बेंच ने साफ कहा कि कानूनी प्रक्रिया पूरी हुए बिना राजसात आदेश जारी करना उचित नहीं है।निगम की ओर से 10 सदस्यीय जांच समिति गठित की गई थी, जिसने कॉलोनी की प्लॉटिंग को अवैध बताया था। इसी समिति की अनुशंसा पर निगम अधिनियम की धारा 292-ग और 292-छ के तहत कार्रवाई शुरू की गई थी। निगम ने दावा किया था कि 33 दावा आपत्तियों का निपटारा कर दिया गया है।

हालांकि, कॉलोनाइजर सुरेंद्र जायसवाल का कहना था कि निगम की तरफ से जारी सभी नोटिसों को पहले ही हाई कोर्ट में चुनौती दी जा चुकी थी, इसलिए राजसात आदेश स्वतः ही अवैध हो जाता है। कोर्ट ने इसी दलील को मानते हुए निगम की इस कार्यवाही पर रोक लगा दी।