Fear of ‘set setting’ in CAMPA fund: Serious questions raised on officers and clerks who have been posted for years, hot discussion on ‘process fee’..
रायपुर। छत्तीसगढ़ वन विभाग की कैम्पा शाखा में बीते कुछ वर्षों के कामकाज को लेकर अब पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। विभाग के आंतरिक हलकों में इस बात की तेज चर्चा है कि कैम्पा से जुड़े कार्यों में संलग्न दो महत्वपूर्ण शख्सियतें – एक नियमित लिपिक और एक संविदा अधिकारी – वर्षों से एक ही कुर्सी पर जमे हुए हैं, जिससे कार्यप्रणाली की निष्पक्षता संदेह के घेरे में आ गई है।
ये दोनों अधिकारी नरवा विकास, लेंटाना उन्मूलन, सघन वृक्षारोपण और आग नियंत्रण जैसी कई बड़ी योजनाओं से सीधे जुड़े रहे हैं, जिन पर कैम्पा मद से सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एक लिपिक जिनका नाम अनीश खुटरे बताया जा रहा है, वे लंबे समय से इसी शाखा में तैनात हैं, जो सामान्य प्रशासनिक नियमों के विपरीत माना जाता है।
सूत्र तो यहां तक संकेत दे रहे हैं कि पिछली सरकार के कार्यकाल में कैम्पा योजनाओं के क्रियान्वयन में एक खास तरह की ‘प्रक्रियागत कटौती’ चलन में थी, जो 7.5% तक बताई जाती है। इसमें से एक छोटा हिस्सा, लगभग 1%, कुछ प्रशासनिक स्तर के कर्मियों के लिए ‘तय’ होने की अनौपचारिक चर्चाएं भी सामने आई हैं। हालांकि, इन बातों की कोई आधिकारिक पुष्टि या लिखित दस्तावेज नहीं हैं, लेकिन विभागीय कर्मचारी दबी जुबान में स्वीकार करते हैं कि कुछ फाइलें “तय ढर्रे” पर ही चलती थीं।
कुछ फील्ड अधिकारियों ने भी नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अगर उनकी फाइलें इन अनौपचारिक ‘प्रक्रियाओं’ से हटकर आती थीं, तो उनमें अनावश्यक देरी होती थी या फिर आंतरिक जांच या नोटिस का सामना करना पड़ता था। यह स्थिति योजनाओं को समय पर पूरा करने में बाधा डालती थी।
राज्य में नई सरकार बनने के बाद कई विभागों में बड़े पैमाने पर फेरबदल हुए हैं, लेकिन वन विभाग के कैम्पा शाखा के इन प्रमुख पदों पर स्थायित्व बने रहना प्रशासनिक गलियारों में कौतूहल का विषय बना हुआ है। अब यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या वर्तमान प्रशासन में भी कोई ताकतवर बड़ा अधिकारी इन्हें बचा रहा हैं?
ऐसे में मांग जोर पकड़ रही है कि कैम्पा शाखा के पिछले 7 वर्षों के कामकाज और खर्चों की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराई जाए। संबंधित अधिकारियों को प्रशासनिक नियमों के तहत स्थानांतरित किया जाए और कैम्पा मद के ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाएं ताकि किसी भी तरह के संदेह को निर्मूल किया जा सके।

