बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में इस बार दशहरा पर्व से पहले ही विवाद की चिंगारी भड़क उठी है। दशकों से सरकंडा स्थित साइंस कॉलेज मैदान में रावण दहन और सांस्कृतिक आयोजनों की परंपरा निभा रही अरपांचल लोक मंच समिति को इस बार मैदान नहीं मिलने पर गहरी नाराज़गी है।

मंच के अध्यक्ष सिद्धांशु मिश्रा ने प्रशासन के इस निर्णय को “द्वेषपूर्ण और दबाव की राजनीति” का परिणाम बताया है और स्पष्ट कहा है –
“भले ही जेल जाना पड़े, लेकिन रावण दहन वहीं करेंगे।”
मैदान किसी और को मिला, मंच में आक्रोश..

अरपांचल लोक मंच समिति ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस पूरे प्रकरण को सार्वजनिक किया। मिश्रा ने बताया कि मंच ने नियमानुसार समय रहते आवेदन किया था, फिर भी साइंस कॉलेज मैदान किसी सिद्धार्थ भारती नामक व्यक्ति को आवंटित कर दिया गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन और कॉलेज प्रबंधन किसी “राजनीतिक दबाव” में आकर यह फैसला ले रहे हैं। मिश्रा ने दावा किया कि जल्द ही इस दबाव का चेहरा भी बेनकाब किया जाएगा।
“हम परंपरा नहीं टूटने देंगे”

सिद्धांशु मिश्रा ने दो टूक कहा – “यह हमारी परंपरा, सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा मामला है। रावण दहन हर साल वहीं होता आया है। हम किसी भी हालत में स्थान नहीं बदलेंगे, जरूरत पड़ी तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला से मुलाकात कर इस मामले में सहयोग की अपील करेंगे।
लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन : मिश्रा

मिश्रा ने सवाल उठाया कि जब समिति का आवेदन पहले से था, तो कॉलेज प्रबंधन ने बाद में आए आवेदन को क्यों प्राथमिकता दी? उन्होंने इसे “लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन” करार देते हुए चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया, तो संघर्ष तेज किया जाएगा।
अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस विवादित स्थिति में क्या रुख अपनाता है –

क्या अरपांचल लोक मंच को वर्षों पुरानी परंपरा निभाने की अनुमति मिलेगी या नया आयोजनकर्ता मैदान में आगे बढ़ेगा ?
बिलासपुर में दशहरा से पहले सियासी और सामाजिक टकराव की यह स्थिति निश्चित ही शहर की शांति और सांस्कृतिक परंपरा के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है।

