बिलासपुर में हाईकोर्ट की रोक भी बेअसर : रात भर अरपा का सीना छलनी कर रहे रेत चोर और अफसर तानकर सो रहे चादर..

बिलासपुर । न्यायधानी की जीवनदायिनी अरपा नदी इन दिनों रेत माफिया के कब्जे में है। कड़ाके की ठंड और हाईकोर्ट की सख्त पाबंदी के बावजूद नदी से अवैध उत्खनन का खेल रात-दिन धड़ल्ले से चल रहा है। ताज्जुब की बात यह है कि दो दिन पहले खबर छपने के बाद भी प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। दोमुहानी से लेकर घुटकू तक नदी के भीतर बड़ी-बड़ी मशीनें और ट्रैक्टरों की कतारें साफ बता रही हैं कि रेत चोरों को न तो कानून का डर है और न ही प्रशासन का खौफ।

अफसरों की चुप्पी पर उठ रहे सवाल..

शहर जब रजाई में दुबका होता है तब दयालबंद, दोमुहानी और कोनी जैसे इलाकों में माफिया अरपा का सीना छलनी करने में जुटे रहते हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो और तस्वीरें गवाह हैं कि वहां खनिज विभाग का नहीं बल्कि माफिया का राज चल रहा है। सूत्रों का कहना है कि मोटी कमीशनखोरी के चलते ही कार्रवाई की फाइलें दफ्तरों से बाहर नहीं निकल पा रही हैं। ऐसा लगता है कि साहबों के लिए कोर्ट के आदेश से ज्यादा कीमती माफिया का नजराना हो गया है।

सड़कें बदहाल और ग्रामीण परेशान..

नदी किनारे रहने वाले ग्रामीणों का कहना है कि भारी वाहनों की आवाजाही से रात भर शोर मचता है और धूल के गुबार उड़ते हैं। अवैध उत्खनन की वजह से गांव की सड़कें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि बिना विभागीय मिलीभगत के इतना बड़ा खेल मुमकिन ही नहीं है। एक तरफ अरपा को बचाने के लिए करोड़ों के सरकारी प्रोजेक्ट बन रहे हैं और दूसरी तरफ नदी की बुनियाद को खोदकर उसे खोखला किया जा रहा है।

कलेक्टर के निर्देश सिर्फ कागजों तक सीमित..

कलेक्टर संजय अग्रवाल ने अवैध उत्खनन पर सख्ती बरतने के निर्देश तो दिए हैं लेकिन जमीनी स्तर पर अमला सुस्त पड़ा है। खनिज विभाग के अधिकारी फील्ड में उतरने के बजाय दफ्तरों में बैठकर समय काट रहे हैं। ऊंचे दामों पर रेत बेचकर माफिया चांदी काट रहे हैं और प्रशासन केवल कागजी घोड़े दौड़ाने में व्यस्त है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस खुली लूट पर कब लगाम लगाता है या फिर अरपा इसी तरह नीलाम होती रहेगी।