बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक मामले में पुलिस की कार्रवाई पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने हत्या के आरोपी को सरेंडर करने के लिए एक महीने का समय दिया था, लेकिन तय समय सीमा से पहले ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने इस मामले को मौलिक अधिकारों का हनन माना है। कोर्ट ने पुलिस की गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता को दो सप्ताह के भीतर 10 हजार रुपए मुआवजा दिया जाए।
तय समय से पहले हुई गिरफ्तारी..
दरअसल, हाई कोर्ट ने 8 अक्टूबर 2025 को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हत्या के आरोपी विजय चौधरी और अन्य को एक महीने के भीतर ट्रायल कोर्ट में आत्मसमर्पण करने का समय दिया था। यह अवधि 8 नवंबर तक वैध थी। लेकिन सिविल लाइन थाने के टीआई ने कोर्ट के आदेश को नजरअंदाज करते हुए 29 अक्टूबर को ही विजय चौधरी को गिरफ्तार कर लिया। विजय चौधरी ने अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए हाई कोर्ट में चुनौती दी।
एसएसपी के तर्क को कोर्ट ने नामंजूर किया..
हाई कोर्ट के नोटिस के जवाब में एसएसपी रजनेश सिंह की तरफ से शपथपत्र प्रस्तुत किया गया। इसमें बताया गया कि उन्हें विश्वसनीय सूचना मिली थी कि याचिकाकर्ता कोई अन्य अपराध कर सकता है, इसलिए गिरफ्तारी जरूरी थी।
लेकिन चीफ जस्टिस सिन्हा की बेंच ने इस तर्क को नामंजूर कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जब हाई कोर्ट ने आत्मसमर्पण की समय सीमा तय कर दी थी, तब पुलिस को एकतरफा कार्रवाई करने के बजाय कोर्ट से अनुमति लेनी चाहिए थी।
कोर्ट ने इसे मौलिक अधिकारों का हनन माना..
हाई कोर्ट ने स्पष्ट रूप से माना कि पुलिस की यह कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 20 और 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी खुफिया इनपुट के आधार पर न्यायिक आदेश को दरकिनार नहीं किया जा सकता।
हालांकि, पुलिस ने अपनी कार्रवाई पर बिना शर्त माफी मांगी, जिसे हाई कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। इसके साथ ही सरकार को विजय चौधरी को दो सप्ताह में 10 हजार रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया गया है।
जानिए क्या है चर्चित हत्याकांड का पूरा मामला..
यह पूरा मामला 22 नवंबर 2013 का है, जब मंगला चौक निवासी होटल व्यवसायी दशरथ लाल खंडेलवाल (85) और उनकी पत्नी विमला देवी (70) पर नकाबपोश हमलावरों ने चाकू से ताबड़तोड़ वार किए थे। इस हमले में दशरथ खंडेलवाल की मौत हो गई थी। पुलिस ने मामले में घोर लापरवाही बरती, जिसके चलते चार माह देर से हुई गिरफ्तारी के कारण आरोपियों को सबूतों के अभाव में निचली अदालत से संदेह का लाभ मिला और वे छूट गए थे।
अपील में हुई सजा..
राज्य शासन ने इस दोषमुक्त आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए आरोपियों के दोषमुक्त आदेश को रद्द कर दिया और उन्हें कोर्ट में सरेंडर करने के लिए एक माह का समय दिया था, जिसके बाद पुलिस ने विजय चौधरी को तय समय से पहले गिरफ्तार कर लिया। विजय चौधरी मूलतः महासमुंद के सराईपाली का रहने वाला है और उस समय यहां कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था।

