यूनिटी मार्च का पोस्टमार्टम : कैमरे की लाइन में खड़े होने पर बहसबाजी की नौबत, भाजपाइयों की एकता हुई बेनकाब.. देखें वीडियो..

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ बीजेपी में गुटबाजी की चिंगारी एक बार फिर सबके सामने भभक उठी। बिलासपुर में संगठन में एकता का ढिंढोरा पीटने निकले यूनिटी मार्च के दौरान, केंद्रीय मंत्री तोखन साहू के बगल की बहुमूल्य वीआईपी सीट हथियाने को लेकर दो नेता आपस में बुरी तरह भिड़ गए। बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला और प्रदेश मंत्री हर्षिता पांडे के बीच यह सरेआम जुबानी जंग कैमरे के सामने ऐसी हुई कि एकजुटता का सारा नाटक पल भर में तार तार हो गया।

आगे कौन चलेगा, इसी बात पर मचा महाभारत..

पार्टी ने मार्च इसलिए निकाला था ताकि लगे कि सब एक हैं, लेकिन यहां लड़ाई सिर्फ इस बात की थी कि फर्स्ट लाइन में यानी कैमरे के फ्रेम में कौन कितना बड़ा दिखेगा।

मामला तब बिगड़ा जब बीजेपी प्रदेश मंत्री हर्षिता पांडे केंद्रीय मंत्री तोखन साहू के ठीक बगल में अपनी जगह पक्की करके चलने लगीं। इससे विधायक सुशांत शुक्ला को लगा कि उनकी वीआईपी वाली इमेज खतरे में पड़ गई है। जैसे ही शुक्ला ने ‘फोटो अपॉर्चुनिटी’ वाली जगह हथियाने की कोशिश की, पांडे जी ने उन्हें झिड़क दिया।

केंद्रीय मंत्री भी बने पंच, बचाई इज्जत..

बस फिर क्या था, दोनों के बीच बहस इतनी तेज हो गई कि आवाजें दूर तक गईं। आलम यह था कि नेता एक दूसरे को देख लेने की धमकी दे रहे थे। भाजपा सूत्रों के हवाले से खबर यह है कि यह लड़ाई पद से ज्यादा ‘स्टेटस सिंबल’ की थी।

माहौल इतना गरमा गया कि खुद केंद्रीय मंत्री तोखन साहू और वरिष्ठ विधायक धरमलाल कौशिक को दोनों के बीच आकर ‘पंच’ की भूमिका निभानी पड़ी और झगड़ा शांत कराना पड़ा। अब सवाल यह है कि जिस पार्टी के नेता एक छोटे से मार्च की फ्रंट रो में शांति से नहीं चल सकते, वो राज्य का शासन कैसे चलाएंगे? यह वीडियो वायरल होने के बाद, बीजेपी की ‘यूनिटी’ सिर्फ नाम की रह गई है, और पार्टी नेताओं को यह डर सता रहा है कि आलाकमान अब किस पर कार्रवाई का डंडा चलाएगा।

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