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Reading: छत्तीसगढ़ के जंगल में सवा अट्ठारह लाख का घोटाला..
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> Blog > वन विभाग > छत्तीसगढ़ के जंगल में सवा अट्ठारह लाख का घोटाला..
वन विभाग

छत्तीसगढ़ के जंगल में सवा अट्ठारह लाख का घोटाला..

Jp agrawal
Last updated: 2025/05/06 at 12:25 PM
Jp agrawal Published 06/05/2025
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18.25 lakh rupees scam in Chhattisgarh forest..

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: सोचिए, जिन हाथों में हमारे जंगलों को बचाने और संवारने की जिम्मेदारी है, वही हाथ अगर सरकारी पैसे पर ही डाका डालने लगें तो कैसा लगेगा?

छत्तीसगढ़ के मरवाही वनमंडल से सामने आया एक मामला दिल दुखाने वाला है। यहां 18 लाख रुपये से ज्यादा का एक ऐसा फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है, जिसने पूरे वन विभाग पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह सिर्फ पैसों की बात नहीं है, यह भरोसे का टूटना है, उस ईमानदारी का मजाक उड़ना है जिसकी उम्मीद हम अपने सरकारी बाबुओं से करते हैं।

कहानी कुछ यूं है कि मरवाही रेंज में कागजों पर तो पानी बचाने के लिए खूब काम दिखाए गए, उनके रखरखाव के नाम पर बिल बने। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही थी। बिल थे, वाउचर थे, यहां तक कि उपवनमंडलाधिकारी (SDO) की मुहर और दस्तखत भी उन पर लगे थे। सबूत के तौर पर काम की तस्वीरें भी लगाई गईं थीं। पर ये सब सिर्फ कागजी खेल था। मुहर और दस्तखत जाली थे, तस्वीरें शायद कहीं और की थीं, और असल में जहां काम होना था, वहां ईंट तक नहीं रखी गई थी। यह सब विभाग के ही कुछ लोगों की सोची समझी साजिश थी, एक संगठित गिरोह जो सरकार की तिजोरी को अपनी जेब समझ बैठा था।

गनीमत रही कि उस वक्त के DFO ने इन वाउचरों की जांच के आदेश दिए। और यहीं पर कहानी में एक उम्मीद की किरण बनकर आए SDO मोहर सिंह मरकाम। उन्होंने जब इन वाउचरों को देखा तो चौंक गए। न दस्तखत उनके थे, न मुहर असली थी। उनकी एक पल की चौकसी ने सरकारी खजाने को 18 लाख से ज्यादा की चपत लगने से बचा लिया। यह दिखाता है कि सिस्टम में कुछ लोग आज भी ईमानदार हैं, जो अपना फर्ज निभा रहे हैं।

लेकिन दुख की बात यह है कि इस साजिश में मरवाही के रेंजर और कुछ दूसरे अधिकारी-कर्मचारी भी शामिल पाए गए। जिन पर काम करवाने की जिम्मेदारी थी, वही इस फर्जीवाड़े के सूत्रधार निकले। जब रक्षक ही भक्षक बन जाएं, तो आम आदमी कहां जाए? यह बात परेशान करने वाली है।

इस घटना ने लोगों में गुस्सा भर दिया है। वे चाहते हैं कि ऐसे भ्रष्ट लोगों को तुरंत बाहर का रास्ता दिखाया जाए, उन्हें निलंबित किया जाए और इस पूरे मामले की गहराई से जांच हो। अक्सर ऐसे मामलों में आरोपी पद पर बने रहते हैं, जिससे जांच प्रभावित होती है। इसलिए तत्काल और सख्त कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही है। यह मामला छत्तीसगढ़ सरकार के लिए भी एक अग्निपरीक्षा है। उन्हें साबित करना होगा कि वे सचमुच भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं और अपने ही विभाग के दागियों को बख्शेंगे नहीं। यह सिर्फ 18 लाख का मामला नहीं, यह उस विश्वास को फिर से जीतने की चुनौती है जो ऐसे मामलों से टूट जाता है।

प्रभात मिश्रा (IFS),मुख्य वन संरक्षक
वृत्त बिलासपुर छ.ग.

मरवाही वनमण्डल जांच कमेटी गठित कर दी गई हैं।जांच टीम को स्पष्ट निर्देश दिए गए है कि 15 दिवस के भीतर निष्पक्ष जांच कर रिपोर्ट विभाग में दे और इस मामले में जो भी दोषी अधिकारी व कर्मचारी शामिल होंगे उनके ऊपर एफ आई आर कराई जायेगी और दोषियों को सजा दी जायेगी।

Jp agrawal

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TAGGED: Raipur..
Jp agrawal 06/05/2025 06/05/2025
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