
डे केयर के साथ रात की सुरक्षा से टलेगी दुर्घटना
बिलासपुर। चौंक चौराहे और सड़क पर घूमते मवेशियों के चलते आए दिन हो रहे सड़क दुर्घटना को देखते हुए उन्हें पकड़ने की कार्यवाही लगातार जारी है। इस कार्य में नगर निगम ग्राम पंचायत और जनपद पंचायत भी लगातार सक्रिय है लेकिन उन मवेशियों को पकड़ने के बाद उन्हें कहां रखा जाता है और उनके लिए समुचित व्यवस्था क्या होती है इसका खाका तैयार नहीं है। वर्तमान स्थिति को माने तो गांव में भी गोपालक अपने मवेशियों को रखने के लिए तैयार नहीं है और उन्हें दिन भर बाहर छोड़ दिया जाता है सरकारी व्यवस्था के अनुसार गौर थानों की व्यवस्था की गई है जहां इन मवेशियों को केवल डे केयर की व्यवस्था होती है दिन में तो कैसे भी इनकी चारे पानी की व्यवस्था हो जाती है लेकिन रात में यह मवेशी जाए तो कहां जाए। ग्राम पंचायत से मिली जानकारी के अनुसार गौठानों में चरवाहा अथवा किसान सुबह जानवर छोड़ कर चले जाते हैं जिनकी दिनभर देखभाल की जाती है रात में गोपालक अपने जानवरों को घर रखने से भी इनकार करते हैं लिहाजा मवेशी सड़क पर विचरण करने के लिए मजबूर हो जाते हैं इसी तरह अगर शहर की बात करें तो शहर में आवारा मवेशियों को पकड़कर काऊ कैचर के जरिए शहर के बाहर या गौठानो में छोड़ा जाता है लेकिन इनकी वहां समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण यह फिर से सड़क पर आ जाते हैं जिससे ना केवल आने जाने वाले राहगीरों की जान को खतरा रहता है बल्कि वाहन दुर्घटनाग्रस्त भी होती है और स्वयं मवेशी भी चपेट में आते हैं। जनपद पंचायत बिल्हा उपाध्यक्ष विक्रम सिंह का मानना है कि सरकार को गौठनो में 24 घंटे तक मवेशियों को रखने व्यवस्था करनी चाहिए जिसके लिए उन्हें महज चारा पानी और चौकीदार की व्यवस्था करनी होगी।
सामाजिक संस्था कर रहीं मदद
हालांकि आजकल कई ऐसे सामाजिक संस्थाएं हैं जो मवेशियों।को दुर्घटना से बचाने के लिए रेडियम बेल्ट बांधने का कार्य भी रात में करते हैं लेकिन इन उपायों से कुछ हद तक ही दुर्घटना को टाला जा सकता है। क्योंकि गाय तो शहर और ग्रामीण क्षेत्र सभी जगह पर हजारों की तादाद में घूमते नजर आते हैं जिनके पहुंच तक रेडियम बेल्ट जैसी सुरक्षा भी नहीं है

