
तीन से छह वर्ष के बच्चे रहते हैं केंद्र में
बिलासपुर। प्रदेश में हीटवेव का कहर जारी है। ऐसे में बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघ्ोल ने बुधवार को सभी स्कूलों को 26 जून तक बंद रखने का आदेश दिया। वहीं आंगनबाड़ी का संचालन नियमित रुप से किया जा रहा है, जिसके लिए अभी कोई गाइडलाईन नही मिली है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिस प्रकार भीषण गर्मी को देखते हुए स्कूलों में अवकाश को बढ़ाया गया है। वैसे ही आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन में भी कुछ बदलाव किया जाए।
आबा संघ प्रांत कोषाध्यक्ष पंजीयन क्रमांक 4०9 सुनीता सिंह ने बताया कि इन दिनों प्रदेश में भीषण गर्मी पड़ रही है। आमजन बेहाल हैं। विशेषकर बच्चे गर्मी से जल्दी प्रभावित हो जाते हैं। आंगनबाड़ी के संचालन का समय सुबह 7 से 1 बजे तक है। जिसमें तीन से छह वर्ष तक के बच्चे आते हैं। केंद्र में बच्चों को सुबह 7 से 11 बजे तक रखा जाता है। इस भीषण गर्मी में सुबह के 4 घंटे भी उनके लिए स्वास्थ्यगत समस्याओं को निमंत्रण देता है। केंद्र में उन्हें नाश्ता और गर्म भोजन परोसा जाता है जिसके बाद उन्हें छुट्टी दे दी जाती है। बच्चों के जाने के बाद कार्यकताã को दोपहर 1 बजे तक पोषण एप के जरिये डाटा कलेक्ट करने का कार्य, गृहभेंट करना होता है। और वर्तमान में निर्वाचन डयुटी में शामिल है इन सभी कार्यों को पूर्ण करना होता है। लू के थपेड़े से न केवल बच्चे बल्कि कार्यकर्ताओं का भी बूरा हाल है। लेकीन पूरक पोषण आहार प्रभावित न हो इसके लिए एक विकल्प हितग्राहियों को सुखा राशन वितरण करना है। वही गर्भवती शिशुवती और 6 माह से 3 वर्ष के बच्चों के लिए स’ाह में एक दिन केंद्र से ही रेडी टू ईट दी जाती है। आंबा के संचालन समय को कम करके भी इसका हल निकाला जा सकता है, केंद्र में अधिकांश बच्चे रोजी मजदूरी करने वालों के होते हैं लिहाजा उन्हेंपोषण आहार के रुप में गर्म भोजन खिलाकर जल्दी छुट्टी की जा सकती है।
लू के थपेड़ों से गर्मियों में बच्चों का वजन कम होता है कम
परियोजना अध्यक्ष तखतपुर छत्तीसगढ़ आंगनवाड़ी कार्यकताã सहायिका संघ पं क्र 4०9 ने सुचीता शर्मा ने कहा कि मौसम के भयंकर बढ़ते हुए तापमान को देखते हुए मुख्यमंत्री द्बारा द्बारा स्कूल के बच्चों को छुट्टी देने व उस को आगे बढ़ाने संबंधित आदेश प्राप्त हुआ । उन्होंने कहा कि हम छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकताã सहायिका संघ की ओर से मुख्यमंत्री से कहना चाहते हैं कि गर्मियों में लू के थपेड़े जिस तरह से स्कूल के बच्चों को आतंकित करते हैं उससे कहीं ज्यादा आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले नन्हे-मुन्ने बच्चे प्रभावित होते हैं लेकीन 3०० दिन पूरक पोषण आहार की अनिवार्यता के चलते आंगनबाड़ी में यह व्यवस्था नहीं दी जाती है । लू के थपेड़ों से गर्मियों में बच्चों का वजन कम हो जाता है। सीधी सी बात है गर्मियों के प्रभाव के चलते यह सब परिवर्तन हम कार्यकर्ताओं को वजन के संबंध में देखने को मिलती है । सुचिता शर्मा ने कहा कि 3०० दिन पूरक पोषण आहार को कोरोना के समय सूखा राशन देकर जैसे पूर्ति की गई थी उसी तरह से बच्चों को सूखा राशन देकर के 3०० दिन के पूरक पोषण आहार की अनिवार्यता समाप्त की जा सकती हैं।

