* सरस्वती शिशु मंदिर तिलकनगर में शिक्षकों ने बच्चो को बताया आर्मी के योगदान का स्मरण
बिलासपुर। सरस्वती शिशु मंदिरों में अर्धवार्षिक परीक्षाएं चल रही हैं। बच्चों का पूरा ध्यान परीक्षा को लेकर है लेकिन वह देश के प्रति सेवा के योगदान को अपना समर्थन देते हुए अधिक से अधिक संख्या में सशस्त्र सेवा दिवस का टिकट खरीद रहे हैं। स्कूल के शिक्षक बच्चों को राष्ट्र सुरक्षा के लिए सेवा को सर्वोपरि बना बताते हुए ज्यादा से ज्यादा संख्या में टिकट खरीदने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
तिलकनगर सशिमं में हर एक छात्र सेना वाली टिकट खरीद रहा है। करीब 500 स्कूली बच्चों के साथ 100 अधिकारी शिक्षक कर्मचारी इस टिकट को खरीदकर सेना के लिए अपनी भावनाएं प्रकट करें। ऐसी कोशिश की जा रही है।
शिक्षक नवल सिंह ठाकुर संस्कार श्रीवास्तव ज्योति साहू ने देश की सेना के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए टिकट की लांचिंग की। छात्र-छात्राओं के व्हाट्सएप ग्रुप में हर एक छात्रा को यह टिकट खरीदने के लिए प्रेरित किया गया है। नवल सिंह ठाकुर ने बताया कि यह उन जांबाज सैनिकों के प्रति एकजुटता दिखाने का अवसर है जो देश की तरफ आंख उठाकर देखने वालों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए। सेना में रहकर जिन्होंने न केवल सीमाओं की रक्षा की बल्कि आतंकवादी व उग्रवादी से मुकाबला कर शांति स्थापित करने में अपनी जान न्यौछावर कर दी। देश की सीमा की सुरक्षा तीन सेनाएं कर रही हैं। जमीन मार्ग पर थल सेना मुस्तैद है तो वहीं आसमान पर वायु सेना निगरानी करती हैं। भारत के समुद्री मार्गों और सीमा को सुरक्षित रखने के लिए देश की नौसेना तत्पर है। यह खास दिन थल सेना, नौसेना और वायुसेना के जवानों के कल्याण के लिए मनाते हैं और देश की सेना को सम्मानित करते हैं। भारतीय सशस्त्र सेवा झंडा दिवस मनाने का प्रारम्भ स्वाधीनता के बाद से। 1949 में पहली बार यह दिन मनाया गया। झंडा दिवस मनाने के पीछे की एक खास वजह है। भारत कई दशकों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा। हालांकि 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र घोषित हो गया। हमारे सामने एक बड़ी चुनौती थी देश की सीमा की रक्षा करना। इसके लिए सेनाएं अस्तित्व में आईं, जिन्हें मजबूत किया जाने लगा। आजादी के दो साल बाद 28 अगस्त 1949 को भारत सरकार ने भारतीय सेना के जवानों के कल्याण के लिए एक समिति का गठन किया।


