छुआछूत ऊंच-नीच विकसित भारत के लिए गलत सोच: संस्कार
बिलासपुर। सरस्वती शिशु मंदिर तिलकनगर ने भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि महापरिनिर्वाण दिवस पर समानता का संदेश देकर जनजागरण किया। भगवान की नजर में कोई उंचा नीचा नहीं है। छुआछूत भेदभाव भारत के विकास में बाधक है। इस तरह से समाज को बांटने वाली शक्तियों का विरोध होना चाहिए।
यह मानकर सरस्वती शिशु मंदिर तिलकनगर के शिक्षक संस्कार श्रीवास्तव ने अपना दिन सफाई कर्मियों के बीच बिताया। उन्होंने सफाई कर्मियों को बताया कि भीमराव अंबेडकर महार जाति में पैदा हुए। उस जमाने में रस्सी बनाने वालों और चांभार चमड़े का काम करने वालों के बीच पड़ने वाली एक अछूत होने की दुर्भावना की सोच थी। भीमराव ने इंसान को इंसानियत के जैसे मानने का संदेश दिया। इसलिए सफाई कर्मियों को अपने बच्चों को सरस्वती शिशु मंदिर जैसी राष्ट्रवादी संस्था में पढ़ाना चाहिए जो भीमराव अंबेडकर की शिक्षा अपना रही है।
स्वच्छता मित्र शिक्षकों को अपने बीच पाकर गदगद हो गए। शिक्षक संस्कार श्रीवास्तव ने बताया कि ये सफाई कर्मी नेमफेम से दूर रोज सुबह हमारी सेवा में तत्पर होते हैं। हमें भी सफाई व्यवस्था बनाए रखने के लिए सहयोग करना चाहिए। इस मौके पर स्कूल में सफाई कार्य करने वालों भी सम्मान देकर प्रोत्साहित किया गया।
शिवराम चौधरी , संस्कार श्रीवास्तव , राकेश साहू , सुदर्शन पटेल , भरत श्रीवास , संतोष पैठणकर , हेमंत पांडेय सभी शिक्षक इस भाव से सफाई कर्मियों को प्रोत्साहन देते रहते हैं। सड़कों पर दिन रात सफाई मित्र झाड़ू लेकर कचरा साफ करते दिख जाते हैं। कभी चाय पिए। सफाई मित्रों ने कहा कि सड़कों को चमकदार बनाने के लिए मेहनत करते हैं। लोग पान खाकर साफ सुथरी सड़कों पर थूकते हैं। पाउच पन्नी पॉलिथीन सड़ी गली साग सब्जी भाजी अनुपयोगी सामान सड़क पर फेंकते हैं। जबकि कलेक्शन के लिए गाड़ी रोज पहुंचती है। डस्टबिन भी रखे गए हैं। गंदगी फैलाने वालों की संख्या सफाई मित्रों के मुकाबले बहुत अधिक है। इसलिए 24 घंटे सड़कों को चकाचक रख पाना बहुत मुश्किल है। सड़क पर आवारा पशु सफाई कर्मियों की मुश्किलें और बढ़ा रहे हैं। हम सभी को शहर अपने घर जैसा मानना चाहिए। जैसे हम अपने घर में सफाई रखते हैं। वही भाव जागरूकता शहर के लिए होना चाहिए। सफाई मित्र भी इंसान हैं। उनकी तकलीफों का ध्यान रख लोगों को भी स्वच्छता बनाए रखने में मदद करना चाहिए।
*स्वयंसेवक करुणा और समर्पण का प्रतीक हैं। चाहे एक अच्छे समाज का निर्माण करना हो या आपदा में लोगों की सेवा, स्वयंसेवक हमेशा एक खास भूमिका निभाता है। महापरिनिर्वाण दिवस हम उन अनदेखे नायकों को सलाम करते हैं जो अपनी निस्वार्थ भावना से भारतीय समाज को चमका रहे हैं। : सरस्वती शिक्षा संस्थान*


