
रायपुर/पूरा प्रदेश चकित हैं कि बस्तर और सरगुज़ा के आदिवासी अंचल में ऐसा क्या हो गया कि कांग्रेस का पूरा सूपड़ा साफ़ हो गया।जबकि छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाक़े में तो बीजेपी को कोई ख़ास लीड नहीं मिला।इसका एक बड़ा कारण हैं हरा सोना ( तेंदूपत्ता ) का कांग्रेस सरकार में गुड़-गोबर होना। तेंदूपत्ता आदिवासियों की आय का एक प्रमुख ज़रिया हैं। बीजेपी के शासन काल तक तो इसका व्यापार खूब बढ़ा। कई योजना भी लागू की गई जैसे चरण पादुका और छात्रवृत्ति। बोनस भी समय पर बाँटा गया। इसके लिए बीजेपी पूरे प्रदेश भर के आदिवासियों के लिए बोनस तिहार का भी आयोजन करती थी।जैसे ही कांग्रेस की भ्रष्ट सरकार आयी अपने साथ ये मोहम्मद अकबर के रूप में वनमंत्री को साथ लायी। लोगो को भी समझ नहीं आया की वनविभाग की कमान अक्सर बस्तर या सरगुजा संभाग के आदिवासी विधायक को ही दी जाती हैं तो इस ग़ैर आदिवासी को कैसे दे दिया गया। श्रीनिवास राव अकबर के चार साल में कैम्पा प्रमुख रहे फिर एक साल पीसीसीएफ़ बनाया गया।श्रीनिवास राव के कैम्पा प्रमुख रहते भ्रष्टाचार की कहानी को लिखना चालू की जाये तो एक पूरा रामायण जैसा ग्रंथ तैयार हो जाये। PCCF बनने के पीछे भी बहुत बड़ी कहानी हैं।इनको मोहम्मद अकबर ने इनके सात सीनियर IFS को दरकिनार करके इसको पीसीसीएफ़ बनवाया।क्योंकि राव अकबर के चपरासी जैसा काम कर रहा था।ऐसा शायद ही कभी किसी राज्य में हुआ हो।

अब यहाँ से चालू होती हैं अकबर और श्रीनिवास राव की जुगलबंदी।अकबर तो सिर्फ़ कमाता था पर राव विभाग चलाता था।इन दोनों ग़ैर छत्तीसगढ़ियों को छत्तीसगढ़ से कोई मतलब ही नहीं रहा।तेंदूपत्ता जैसे सफल योजना को भी इन दोनों ने मिल के भ्रष्टाचार का भेट चढ़ा दिया।इनके रहते तेंदूपत्ता का सालाना व्यापार 1300 करोड़ से घट के 700 करोड़ पर आ गया।भले ही कांग्रेस की सरकार ने तेंदूपत्ता का रेट 4000 किया हो पर आदिवासीयो की आय आधी हो गई।चरण पादुका और छात्रवृत्ति जैसी बेहतरीन योजना बंद कर दी गई।बोनस बाँटना बंद कर दिया गया क्योंकि तेंदूपत्ता से आय होना ही बंद हो गया।इसके पीछे एक बड़ा कारण था अकबर के तेंदूपत्ता साथी ठेकेदार।जब तेंदूपत्ता का टेंडर होने लगा तो ये ठेकेदार कम रेट पर तेंदूपत्ता लेंने लगे इससे राजस्व में कमी आयी।चुकि विभाग अकबर के अंदर था इसलिए कम रेट पर स्वीकृत किया जाने लगा।इधर से अकबर को अपना कमीशन ठेकेदारों से मिल जाता था।ये सब काम विभिन्न पदो पर राव के बैठाये चाटुकार अधिकारियों से संभव हो पाता था।चुकी विभाग तो पीछे से श्रीनिवास राव ही चलाता था इसलिए एक तरह से यह पूरा सेटिंग श्रीनिवास राव का ही होता था।इसके एवज में अकबर राव को उसके मनचाहा पद देकर रखा।तेंदूपत्ता योजना फेल होना कांग्रेस के लिए बहुत घातक रहा और आदिवासी अंचल से सफ़ाया हो गया।

