माड़ी भर जोंधरी , पोरिस कुसियार
जल्दी जल्दी बाढा ,भोजली होइहा होसियारे.
नवा रे हंसिया के जुन्हा हे बेंठे, जुन्हा हे बैंठे
जियत जागत रहिबो, भोजली ,होई जाबो भेंटे
आ हो देवी गंगा ,
देवी गंगा देवी गंगा लहरा तुरंगा भोजली,
लहरा तुरंगा,हमरो भोजली दाई के भीगे
आठो अंगा , आहो देवी गंगा ।।
भादो महिना के प्रथम दिन शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय सकरी की छात्राओं की स्कूल में बोई गई भोजली का आज हुवा विसर्जन
बिलासपुर।शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय की छात्राओं के द्वारा समूह में बोई गई और सेवा ,पूजा लगातार 8दिन की गई पूजा अर्चना आज अंतिम रूप से भोजली विसर्जन के रूप में हुई।स्कूल परिसर से हरे भरे परिधान में स्कूल की बालिकाएं भोजली को विसर्जन के लिए महामाया मंदिर सकरी के नजदीक तालाब ले गए।स्कूल की प्रधान पाठिका,एवं स्टॉफ ने बड़े हर्ष उल्लास मय वातावरण में भोजली का विसर्जन कराया ।
इस अवसर पर नवीन शासकीय महाविद्यालय सकरी के स्टूडेंट्स और डॉ पी डी महंत को बतौर अतिथि बुलाया गया था,। डॉ महंत ने पूजा अर्चना कर सभी के खुशहाली की कामना करते हुवे,छत्तीसगढ़ की पारंपरिक अनुष्ठान भोजली को एक पवित्र संस्कारिक मान्यता निरूपित किया।
भोजली विसर्जन के बाद तुरंत “भोजली बदकर “मित्रता का निर्वाह किया जाता है।
यह उड़ीसा से लाय गए महाप्रसाद को लेकर “महाप्रसाद”बदने से भी बढ़कर इसलिए है,यहां की मिट्टी की सुगंधि में उपजित भोजली प्रेम,भाई चारा का प्रतिदान छत्तीसगढ़ के लोगो को जोड़े रहती है। बाजे गाजे,धूम धड़ाके फटाके के साथ भोजली का विसर्जन निकट के तालाब,नदी,नाले में किया जाता है।


