दिनकर प्रकाश हिंदी साहित्य की प्रथम। काव्यात्मक प्रथम समीक्षा कृति है ,,डॉक्टर पाठक



बिलासपुर।राष्ट्रीय कवि संगम जिला इकाई बिलासपुर द्वारा शहर के जाने माने रचनाकार एवं इकाई के अध्यक्ष अंजनी कुमार तिवारी “सुधाकर” द्वारा रचित दो कृति “दिनकर प्रकाश” एवं “रत्नावली अभिज्ञानम्” का विमोचन न्यायमूर्ति चंद्रभूषण वाजपेयी पूर्व न्यायधीश छग उच्च न्यायालय के मुख्य आतिथ्य, डा विनय कुमार पाठक पूर्व अध्यक्ष छग राजभाषा आयोग की अध्यक्षता एवं डा. एस एल निराला प्राचार्य शा जे पी व्ही स्नातकोत्तर महाविद्यालय, डा अजय पाठक वरिष्ट साहित्यकार, डा. ए. के. यदु संरक्षक राष्ट्रीय कवि संगम के विशिष्ट आतिथ्य में शास. जमुना प्रसाद वर्मा कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय जरहाभाठा,बिलासपुर में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुवात मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्वलन कर किया गया, अतिथियों के स्वागत पश्चात स्वागत गीत रामनिहोरा राजपूत एवं सुखेंद्र श्रीवास्तव ने प्रस्तुत किया, तदुपरांत दोनो कृति का विमोचन मंचस्थ अतिथियों द्वारा किया गया । इस अवसर पर कृतिकार अंजनी कुमार ने दोनों काव्य कृतियों की पृष्ठभूमि एवं केंद्रीय भाव को रेखांकित करते हुये ‘दिनकर प्रकाश’ को काव्यात्मक समीक्षा का नवप्रयोग बताया वहीं ‘रत्नावली अभिज्ञानम्’ को दाम्पत्य जीवन में आध्यात्म व वैराग्य के साथ हंस अवस्था की पराकाष्ठा को निरूपित किया। इस संदर्भ में उनकी धर्मपत्नी नीलम तिवारी ने भी अपनी बात रखी। उक्त अवसर पर मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति चंद्रभूषण वाजपेयी ने कहा कि कृतिकार ने तुलसी दास को गोस्वामी तुलसी दास के रुप में स्थापित करने के लिए प्रेरित करने वाली विदूषी एवं आध्यात्मिक जीवन के साथ नेपथ्य में चली गई पतिधर्मा रत्नावली की त्याग,तपस्या व उद्दात्त चरित्र को काव्यात्मक रुप में समाज व पाठक वर्ग के समक्ष प्रस्तुत करने का अभिनव प्रयास किया है, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डा. विनय कुमार पाठक ने कहा कि ‘दिनकर प्रकाश’ काव्यात्मक समीक्षा का नवप्रयोग है, उन्होंने इसे हिंदी साहित्य में प्रथम काव्यात्मक समीक्षा कृति बताया वहीं ‘रत्नावली अभिज्ञानम्’ को गोस्वामी तुलसी दास की विदुषी पत्नी रत्नावली पर प्रथम काव्य कृति की रचना करने के लिए कृतिकार की प्रशंसा करते हुये दोनों पुस्तक को शोधार्थियों के लिए उपयोगी होने की बात कही। डा. एस एल निराला ने कहा की कृतिकार की दोनों कृतियाँ अकादमिक स्तर कि पठनीय व संग्रहणीय हैं। डा. ए के यदु ने कहा की ऐसी कृतियों का सृजन मां सरस्वती की कृपा से ही संभव है, डा. राघवेंद्र दुबे ने इस दोनो कृति को अद्वितीय काव्य कृति का सृजन कहा। कार्यक्रम का सफल संचालन इकाई सचिव बालमुकुंद श्रीवास ने एवं आभार कुमार संतोष शर्मा ने किया। इस अवसर पर नीलम तिवारी, पूर्णिमा तिवारी, सनत कुमार तिवारी, शोभा चाहिल, हीरा सिंह चाहिल, राकेश पाण्डेय, अयोध्या पांडेय, द्वारिका प्रसाद अग्रवाल, डा नीरज अग्रवाल नन्दनी, रश्मि अग्रवाल, डा ओम प्रकाश बिरथरे, राघवेंद्र धर दीवान, राजेंद्र कुमार पाण्डेय, शीतल पाटनवार, बसंत ऋतुराज, नरेंद्र शुक्ला, अंतिमा पांडेय, खरे जी, राकेश खरे रामनिहोरा राजपूत, सुखेंद्र श्रीवास्तव, रामेश्वर शाण्डिल्य, मृगेंद्र श्रीवास्तव, डा विवेक तिवारी, कुमार संतोष, डा मंत राम यादव, हितेश सिंह, नूतन लाल साहू, पंचराम, विशेष रूप से उपस्थित थे।