
बिलासपु।डी.पी. विप्र महाविद्यालय में विगत दिनों तहसीलदार अतुल वैष्णव एवं प्राचार्य, डॉ.(श्रीमती) अंजू शुक्ला, डॉ. मनीष तिवारी, डॉ. विवेक अम्बलकर, डॉ. आभा तिवारी, डॉ आशीष शर्मा, डॉ,किरण दुबे प्रो यूपेश कुमार के नेतृत्व में मतदाता सूची में नाम जोड़ने हेतु जागरूकता अभियान चलाया गया। तहसीलदार माननीय श्री अतुल वैष्णव जी ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार मतदाताओं को जागरूक करने को लेकर जिला निर्वाचन कार्यालय द्वारा सभी लोगों को चुनाव प्रक्रिया में मतदातओं को सक्रिय भागीदारी करने पर जोर दिए आपने कहा कि मतदाता सूची में सभी पात्र लोगो के नाम जोड़ने सहित शत प्रतिशत मतदान से ही सही जनप्रतिनिधि एवं ईमानदार सरकार के गठन का रास्ता प्रशस्त होगा तथा लोकतंत्र मजबूत होगा। राष्ट्रीय चुनाव आयोग मतदाता की भूमिका भारत देश में प्रत्येक वह नागरिक जो 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुका है या उससे अधिक की आयु रखता है, उसे मतदान करने का पूरा अधिकार है। लोकतांत्रिक प्रणाली में एक मतदाता की भूमिका बेहद विशेष है। 5 वर्षों में होने वाली चुनावी प्रक्रिया में मतदाता के बिना प्रतिनिधि चुनना नामुमकिन है। लोकतंत्र में चुनावी गणना वोटों के आधार पर ही की जाती है। यह वोट मतदाता का देश के लिए अहम योगदान होता है। चुनाव में प्रत्येक बालिग व्यक्ति सत्ता में से सरकार को हटाने का तथा किसी अन्य को प्रतिनिधि चुनने का पूरा अधिकार प्राप्त करता है। इस प्रकार प्रत्येक मतदाता सत्ता और शासन के संचालन में भागीदारी करता है। मतदान की आवश्यकता लोकतंत्र में अब सभी राजनीतिक गतिविधियां वोटों के गणित पर ही आधारित होकर संचालित होती हैं। यह वोट जनता के द्वारा ही परिलक्षित होते हैं। ‘एक नागरिक, एक वोट’ इस कथन का विशेष महत्व है। लोकतंत्र की प्रणाली में मतदाता को वोट देने का एक विशेष अधिकार प्राप्त है। चूंकि वोटों के आधार पर ही सरकार को 5 वर्षों के लिए चुना जाता है, इसीलिए हर एक वोट का विशेष महत्व और हर एक वोट देश के लिए आवश्यक है। चुनाव के अवसर पर सही मतदान करके नागरिकों द्वारा लोकतंत्र की रक्षा की जा सकती है। लोकतंत्र की रक्षा के लिए ही प्रत्येक मतदाता का मतदान देश के लिए आवश्यक है। अक्सर लोगों यह सोचकर वोट नहीं डालते हैं कि हमारा एक वोट डालने या ना डालने से किसी का क्या बिगड़ जाएगा? लेकिन कई बार किसी राजनीतिक सत्ता की हार जीत एक वोट पर निर्धारित होती है। ऐसी परिस्थिति में मतदाता की आवश्यकता का ज्ञान महसूस होता है। मतदान जागरूकता अभियान आज के समय में देश में आधे से ज्यादा आबादी प्रतिशत युवाओं का है। अधिकतर युवा वर्ग के व्यक्ति राजनीति में अधिक रुचि नहीं लेते हैं। इसके साथ ही अधिकतर लोगों में चुनाव को लेकर भी अधिक सक्रियता नहीं रहती। ज्यादातर लोग मतदान के महत्व के विषय में उचित रूप से नहीं जानते, जिसके कारण आज मतदाताओं की संख्या निरंतर घटती नजर आती है। लेकिन यदि देश के लोकतंत्र को मजबूत बनाना है और एक उचित सत्ता का चयन करना है तो मतदाताओं की वृद्धि आवश्यक है। लोगों में मतदान को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए, साल 2011 में पहली बार राष्ट्रीय मतदाता दिवस की भी शुरुआत की गई। चुनावों के समय मतदाता जागरूकता रैली निकाली जाती है। जगह जगह मतदाता जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं। जिन ग्रामीण क्षेत्रों में, अभी भी मतदान को लेकर विशेष ज्ञान नहीं है, वहां विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से मतदाता जागरूकता की लहर जारी रखी जाती है।
कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अविनाश सेठी, लक्की यादव, वीरेन्द्र साहू,जित्तू ठाकुर, गोविन्द सेठी, शिवा गेंदले, श्री आशीष चतुर्वेदी, श्री चित्रकांत निरडवार, श्री परिवेश दीवान, श्री विकास सिंह, आशीष मिश्रा, उमेश साहू, बृजेश बोले, बलराम जायसवाल, हिमेश साहू, मनोज मेंसराम, अरूण नथानी, यश मिरानी,सुरेन्द्र अहिरवार, सचिन सूर्या, सन सूर्या, श्री नीरज गोस्वामी, श्री विक्रान्त श्रीवास्तव, प्रवीण देवांगन, यजूर तिवारी विशेष रूप उपस्थित थे।
उपरोक्त जानकारी डॉ. एम.एस. तम्बोली ने दी

