18234 द लास्ट ट्रेन टू इंदौर की बिलासपुर से 318 किमी 07 घंटे दूर साउथ कटनी तक की लाईव स्टोरी
* यात्रियों ने कहा 57 % किराया लेकर अहसान जताने वाली रेलवे 100 फीसदी वसूल नियमित समय पर चलाएं ट्रेन।
बिलासपुर। लंबे अरसे से विभिन्न रेलवे जोन और डिवीजन के अंतर्गत सुधार कार्य होने का कारण बताकर लंबी छोटी दूरी की यात्री ट्रेनों को लगातार कैंसिल किया जा रहा है। 29 सितंबर को बिलासपुर से इंदौर के लिए रवाना हुई 18234 बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस को यात्रियों ने द लास्ट ट्रेन टू द इंदौर कहा। अब यह लगभग 1 हफ्ते के लिए कैंसिल कर दी गई है।
कटनी जबलपुर डिवीजन में सुधार कार्य का हवाला देकर बहुत सी ट्रेनों को कैंसिल किया गया है। पितर पक्ष के बाद नवदुर्गा के दिनों में प्रतिष्ठित तीर्थस्थल की यात्रा करने के लिए यात्री ट्रेनों में भीड़ उमड़ पड़ेगी। इस महत्व को देखते हुए यात्री ट्रेनों को नियमित संचालित करना चाहिए। ऐसा इस ट्रेन के यात्रियों का मत रहा। कहने का मतलब सुधार कार्य और ट्रेनों का संचालन एक साथ हो। ऐसी व्यवस्था रेलवे के द्वारा की जानी चाहिए अन्यथा आए दिन कैंसिलेशन से यात्रियों को परेशानी होती रहेगी।
ट्रेन में बिलासपुर रायपुर कांकेर बालोद सहित दूरदराज के निवासी थे । सभी का कहना था कि आज की तारीख में रायपुर होकर इंदौर के लिए कोई ट्रेन कोई सीधी ट्रेन नहीं थी। इसलिए रायपुर से बिलासपुर आकर नर्मदा एक्सप्रेस पकड़ना पड़ा। 3 अक्टूबर को उज्जैन से हमको वापस बिलासपुर और रायपुर लौटना है। हमने नर्मदा एक्सप्रेस में ऑनलाइन रिजर्वेशन भी करा लिया था। लेकिन इसके बाद अचानक कैंसिलेशन का मैसेज आ गया। अब वापसी में अब आप सोच सकते हैं कि कितनी तकलीफ होगी। विकल्प के तौर पर हमको भोपाल से किसी ट्रेन में तत्काल में रिजर्वेशन कन्फर्म के लिए कवायद करनी पड़ेगी। एजेंट को ज्यादा पैसे देने पड़ सकते हैं।
स्कूली बच्चे हुए परेशान पेंड्रारोड में उतरे-
बिलासपुर से सरस्वती शिशु मंदिर तिलकनगर के शिक्षक शारदा पांडेय खिलाड़ी बच्चों को लेकर पेंड्रारोड जा रहे थे। जनरल कोच में ठीक से बैठने के लिए जगह भी नहीं थी। खचाखच भरा था। कई बच्चों ने खड़े-खड़े पेंड्रा रोड तक की यात्रा की। लोग परेशानी से बचने के लिए स्लीपर में निकटतम स्टेशनों तक जाने के लिए टीटीई को ढूंढते रहे।
सभी स्टापेज पर लेट होती रही ट्रेन –
बिलासपुर , उसलापुर , घुटकू , करगीरोड , बेलगहना , पेंड्रारोड , जैतहरी, अनूपपुर , अमलाई , बुढ़ार , शहडोल , बिरसिंहपुर , नरौजाबाद उमरिया , चंदिया रोड , कटनी साउथ तक इन सभी स्टेशनों में ट्रेन अपने निर्धारित समय से देरी से चल रही थी। हालांकि कोरोना काल के बाद से रेलवे ने मुनाफा कमाने की दृष्टि अपनी स्ट्रेटजी बदली है। जिन स्टेशन से मुनाफा होगा वहीं स्टापेज दिया जाएगा की व्यावसायिक सोच ने इस बीच आने वाले पूर्व स्टापेज के यात्रियों को निराश कर दिया है। मूल रूप से एक्सप्रेस कम पैसेंजर इस ट्रेन को पूरी तरह से एक्सप्रेस बनाने की कोशिश जा रही है। इनमें से बहुत से स्टेशनों में पहले ट्रेन पैसेंजर होने के कारण रुक करती थी लेकिन अब नहीं रुक रही है। समाचार को लिखते समय पूर्व पैसेंजर हाल्ट स्टेशनों से ट्रेन के गुजरने के टाइमिंग को दर्ज किया गया है।
बुजुर्गों को तकलीफ – भारी उमस के माहौल में अनारक्षित टिकट पर यात्रा करने वाले बुजुर्ग , महिलाओं को सीट नहीं मिलने पर अपनी जगह से उठकर उनको सुविधा देने के कई मानवीय संवेदनाओं की दुहाई देने वाले ममस्पर्शी नजारे भी ट्रेन में देखने को मिले। लिहाजा _काबर खड़े हस बबा। कति जाथस। ले मोर सीट मा बईठ जा_ जैसे मीठे छत्तीसगढ़िया अंदाज में जनसंवाद ट्रेन में हो रहे कष्ट के बीच माहौल को रोचक अनुकरणीय बनाते रहे।
_फिलहाल इंदौर के लिए द लास्ट ट्रेन नर्मदा एक्सप्रेस में 29 सितंबर को स्लीपर कोच में रिजर्वेशन कराए यात्रियों का आरएसी तक क्लियर नहीं हुआ वहीं जनरल कोच में ठीक से सांस लेने के लिए भी नहीं बन रहा था इसमें बहुत से लोग ऐसे थे जो खड़े-खड़े इंदौर तक की यात्रा करने की तैयारी कर रहे थे।_


