अपने आने वाली पीढ़ीको अच्छा संस्कार दे सकें यही काम है
श्रीआनंदम धाम पीठ परिक्रमा मार्ग, वाराहघाट, वृंदावन के संत रितेश्वर महाराज बिलासपुर पहंुचे
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ को मैं अपना कर्मभूमि मानता हूं । बरसों तक यहां और रायगढ़ के आदिवासी क्ष्ोत्रों में, छग के प्रत्येक जिलों में आध्यात्मिक जागरण के चेतना का प्रय‘ किया है। छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया, बहंुत अच्छे लोग यहां होते हैं। लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व है। एक साधू होने से पहले मै भारत का एक नागरिक हूं। भारत के नागरिक के रुप में कर्त्तव्य, हम सबका एक दायित्व है, चाहे वो टीचर, लीडर कांट्रेक्टर पत्रकार कोई भी हो। भारत के प्रति और मानवता के प्रति जिसका निर्वाह जितना हमारा जीवन है हम करते हैं। छग में नशा का उन्मूलन हो इसके लिए मेरा प्रयास जारी है। छत्तीसगढ़ के साथ साथ पूरे देश में भी, क्योंकि छग मे शराब बंदी हो बढ़ी अच्छी बात है तो बाहर प्रदेश में गंगाजल थोड़े ही बिकता है। वहां भी शराब ही बिकता है इसका अर्थ यह है कि यह सिर्फ प्रदेश की नही पूरे देश की समस्या है। पूरे भारत में नशामुक्ति अभियान हो डिप्रेशन और टेंशन से मुक्ति हो, यह हमारा पहला काम है। विकास के लिए, अन्न के लिए सड़को के लिए सरकारें काम कर रही है। सत्तर -अस्सी साल के जीवन में अपने अपने परिवार के साथ समाज के साथ हम अच्छे से जी सकें और अपने आने वाले पीढ़ी को संस्कार दे सके यही हमारा कर्त्तव्य है। यही मूल काम है।
धर्म सदा एक था, एक है एक रहेगा
यह बातें श्रीआनंदम धाम पीठ परिक्रमा मार्ग, वाराहघाट, वृंदावन के संत रितेश्वर महाराज ने सोमवार को प्रेसक्लब में आयोजित प्रेसवार्ता में कही। उन्होंने बताया कि धर्म युक्त की राजनीति होनी चाहिये। ये देश पंथ निरपेक्ष है धर्म सदा से एक था, एक है और एक रहेगा। आपने सुना है सनातन संस्कृति के उदघोष को …धर्म की जय जय । कभी हिंदु धर्म की जय हो इस्लाम धर्म की जय हो, क्रिश्चयन धर्म की जय हो, यह नही कहा। धर्म एक है मत, पंथ अलग अलग हो सकते हैं, पर धर्म जिसका आध्यात्म कहते है सदा से एक था, एक है और एक रहेगा और इसके प्रचार- प्रसार करने वाले लोगों को कभी सांप्रादायिक नही कहते । धर्म बस अपने मूल्यो को खो रहा है यहां के लोग न हिंदी समझते न संस्कृत समझते। चार भाषा विलायती बोलते हैं। संत ने कहा भारत वर्ष और छग में रहकर आपको इंग्लिश बोलने नही आता तो यह शर्म की बात नहीं है, बल्कि भारत और छग में रहकर छत्तीसगढ़ी और हिंदी बोलने नही आता तो यह शर्म की बात है। हिंदी हो छत्तीसगढिया हो रिषियन लैंगवेज हो यह हमारे लिए सर्वोपरि है, इन्ही का विकास हो इन्ही का प्रकाश हो, इन्ही के द्बारा हमारे लोगों का मंगल हो यह भी हमारे एक उद्देश्य है।
तमिलनाडु के नेता के बेटे के बयान के सवाल पर उन्होंने कहा बहंुत अच्छे एक्टर है। ना उन्होंने आज तक किसी वेद का अध्ययन किया है, ना संस्कृत का अध्ययन किया है और वे सनातन के विषय में बोल रहे हैं। ये तो ऐसी बात हो गई कि ईएनटी के पास चले जाइये आप अपने हार्ट की सर्जरी करवाने फिर भगवान ही आपका मालिक है आप बच के आओगे या मर के आओगे। वो क्या बताएंगे उनका काम है अपने पिताजी के लिए सही समय पर एक्टिंग करना, एक्टिंग करके वोट जूटाना। धर्म चाहे वह कोई हो धर्म का अर्थ है जीवन जीने की कला जो सबके लिए जरुरी है। जो व्यक्ति धार्मिक नहीं है वह आगे जाकर लोगो को जरुर तकलीफ देगा। उपासना करना धर्म नही होता। रावण से बड़ा उपासक इस दूनिया में कोई नही था, शिवजी की अर्चना करता था, वेद पढèता था पर धार्मिक नही था। शराबबंदी के सवाल पर कहा कि शराबंदी के लिए राजनीतिक दलों से ज्यादा जनता को एक होना जरुरी है।सरकारों की यह नही जनता को गरज है। जहां शराब ही शराब हो वहां समाज कैसा होगा। सरकार चलाना महत्वपूर्ण होता है जनता के बीच शराब बंटे इससे हूकूमत ज्यादा मतलब नहीं रखते। अगर ऐसा होता तो भारत की सरकार या यहां की सरकार शराब बंद कर देती। मणिपुर हिंसा पर कहा कि मणिपुर हिंसा का कारण मतांतरण है, मतांरण नहीं होना चाहिये। उन्होंने सड़क पर बैठी गौमाता पर भी दुख जताया।
बिना सस्कार को जाने कोई सनातनी नहीं हो सकता है। संस्कार पता नहीं होने के कारण जिदगी में आनंद नहीं है। पूजा पाठ के मूल को सुधारे। बच्चों को माता-पिता एवं गुरु का चरण स्पर्श करना सिखाएं। बच्चों को जो संस्कार देंगे वही वह त्येक इंसान के सीखेगा। देश नहीं तो परिवार को बचा लें। पहले अपने कुटुब जमुक्ति को भी को कुटुंब बना लें। ऐसा नहीं होने के कारण ही जीवन में प्रेम शांति नहीं आ रही है। आंतरिक शांति नहीं मिल रही है।
प्रेसवार्ता के बाद उनका कार्यक्रम लखीराम ऑडोटोरियम में हुआ जहां उन्होंने ’वर्तमान परिवेश में सनातन धर्म एवं संस्कृति के समक्ष चुनौतियां’ विषय पर अपनी बात रखी।


