
बिलासपुर/छत्तीसगढ़ के प्रथम चरण के मतदान के बाद भाजपा अपनी प्रचार शैली में जितनी ताकत से बदलाव लाई हैं, सत्ता में 5 सालों से बैठी सरकार और क्षेत्रीय नेता यह समझने लगे हैं कि अपने अहंकार एवं रौब के बल पर यह चुनाव जीता नहीं जा सकता। कांग्रेस उलझती नजर आ रही हैं। भाजपा के मेहनत के आगे भाजपा की कोशिश को साजिश बताने का प्रयास हो रहा हैं।
मतदाता चाहता हैं,सम्मान और फायदा। हर कोशिश के साथ समझने में लगी पार्टी अपने योजनाओं, घोषणाओं को जनता की हितैषी बताकर भाजपा कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर अपने गांव-गांव में एक-एक घर पहुंच कर समझाने में लगे दिख रहे हैं।
वहीं दूसरी पार्टी इसे भी ठेके में करते दिख रहे हैं,जिस कारण कांग्रेस का ग्राफ तेजी से गिरता दिख रहा हैं ।जिसका मुख्य कारण कांग्रेस अभी तक राजनीतिक ठेकेदारों के भरोसे चुनाव प्रचार कर जीतने की तैयारी में देखी जा रही हैं।
कितने किसान ऐसे हैं जिनका कर्ज माफी के भरोसे चुनाव जीता जा सकता हैं? यह देखने वाली बात होगी, कि बिना कर्ज लेने वालों की संख्या कितनी हैं। छत्तीसगढ़ में किसानों की संख्या 70% हैं 30 प्रतिशत आबादी में व्यापारी और अन्य वर्ग हैं ,, व्यापारियों का सरकार के प्रति नाराजगी यह हैं कि सरकार में कोई भी हो या तो गरीबों के लिए योजनाएं आती हैं या तो बड़े उद्योगपतियों के लिए मध्यम वर्ग के व्यापारियों को लाभ पहुंचे,ऐसी कोई योजना ही नहीं बनाई जाती।। कांग्रेस शासन काल में जिस तरह व्यापारियों के ऊपर हमले हुए और दुकानों में घुसकर अपराधी घटनाएं घटित की गई उसे लेकर व्यापारिक वर्ग कुछ रुष्ठ नजर आ रहे हैं। कानून व्यवस्था में ढिलाई से वे अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।उनका कहना हैं, किसानों के लिए किसान मंत्रालय बने, उद्योगपतियों के लिए उद्योग मंत्रालय बन गए,लेकिन मध्यम वर्गीय व्यापारियों के लिए लाभ की कोई योजना नहीं लाई गई। मध्यवर्गीय व्यापारी के प्रति सरकार उदासीन रही हालांकि पिछले दिनों व्यापारियों ने व्यापारियों ने व्यापारी कल्याण बोर्ड की मांग को कांग्रेस के वरिष्ठ राष्ट्रीय नेता जयराम रमेश के समक्ष रखी हैं, वहीं भाजपा की घोषणा पत्र में भी शामिल करने की मांग रखी हैं। व्यापारी कल्याण बोर्ड बनने पर सरकार तक उनकी समस्याओं को सीधा पहुंचा जा सके। अब बात आती हैं, भाजपा की घोषणा पत्र में महतारी वंदन योजना के तहत हर विवाहित महिलाओं को प्रतिमाह ₹1000 देने की कांग्रेस पर ने इस पर नहले पर दहला फेंकते हुए इस सालाना 15000 देने की घोषणा की हैं,यह घोषणा उसने भाजपा की घोषणा पत्र की कॉपी करते हुए गृह लक्ष्मी योजना के तहत किया हैं ।अब बात यह आ रही हैं कि चुनाव जीतने के लिए जिस तरह मुफ्त की योजनाएं घोषित की जा रही हैं। क्या सरकार बनने पर उसे अमल में लाया जा सकेगा। अगर कॉग्रेस की सरकार बन जाती हैं, तो कितने प्रतिशत विवाहित महिलाओं को किस डेरा के अंतर्गत ₹15000 प्रतिमाह दिया जाएगा सवाल यह भी खड़े हो सकता हैं, जिस तरह बेरोजगार युवाओं के साथ हुआ था। 5 साल के कांग्रेस शासन काल में 4 साल बीत जाने के बाद जब चुनाव विधानसभा चुनाव नजदीक आई,तब सरकार को बेरोजगार युवाओं के लिए गए अपने वादे याद आए। चुनाव के ठीक कुछ माह पहले युवाओं को ₹2500 प्रतिमाह देना आरंभ कर दिया उसमें भी केटेगरी को ध्यान में रखते हुए आवंटित किया गया,बड़ी संख्या में ऐसे युवा थे,जिनकी आर्थिक सक्षमता उन्हें दिखाई दी।जिसकी वजह से उन्हें बेरोजगारी भत्ता की लिस्ट में शामिल करना जरूरी नहीं समझा गया यह बात तो तभी ध्यान में रखनी चाहिए थी। जब उन्होंने शिक्षित बेरोजगार युवाओं को ₹2500 भत्ता देने की घोषणा की थी,दिया वह भी अपने कार्यकाल के 4 सालों के बाद उसे पर भी कई शर्ते भी लगाई गई,,मसलन उनकी वार्षिक का ढाई लाख रुपए से कम हूं परिवार में किसी के पास सरकारी नौकरी ना 2 एकड़ से कम कृषि भूमि हो उसे पर भी एक और पेंच की उन बेरोजगारों का रोजगार कार्यालय में कम से कम 2 साल पुराने का पंजीयन हो,कुछ इस तरह की बातें आगे गृह लक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं को लेकर भी आ सकती हैं।

