छत्तीसगढ़ में राज्य स्त्रोत नि:शक्त जन संस्थान घोटाले पर सख़्त रुख, छह IAS समेत कई अधिकारी जांच के घेरे में..

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित NGO घोटाले में बड़ा मोड़ आया है। हज़ार करोड़ रुपये के कथित घोटाले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए मामले की जांच CBI को सौंपने का आदेश दिया है।
यह मामला कथित तौर पर “राज्य स्त्रोत नि:शक्त जन संस्थान” नामक एक गैर-सरकारी संस्था के माध्यम से चल रहे फर्जी अस्पताल से जुड़ा है, जो वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने टिप्पणी की कि यह कोई साधारण लापरवाही नहीं, बल्कि एक सुनियोजित संगठित अपराध है।
क्या है पूरा मामला ?
रायपुर के कुशालपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर ने वर्ष 2017 में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की थी। याचिकाकर्ता ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ वर्तमान और पूर्व IAS अधिकारियों ने NGO के नाम पर करोड़ों रुपये का गबन किया है।
वर्ष 2018 से इस याचिका पर सुनवाई चल रही थी।
जांच के दौरान यह सामने आया कि “राज्य स्त्रोत नि:शक्त जन संस्थान” नामक कोई संस्था जमीनी स्तर पर मौजूद ही नहीं है। इसके बावजूद, इस कथित संस्था के नाम पर मशीनों की खरीद, वेतन वितरण और रखरखाव में करोड़ों रुपये का खर्च दिखाया गया। इतना ही नहीं, याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उन्हें इस फर्जी अस्पताल का कर्मचारी बताकर वेतन भी दिया गया।
RTI से चौंकाने वाले खुलासे..
RTI से मिले दस्तावेजों में यह सामने आया कि :
इस अस्पताल को एक NGO संचालित कर रहा था। फर्जी आधार कार्डों के ज़रिए बैंक ऑफ इंडिया और एसबीआई (मोतीबाग शाखा) में खाते खोले गए। बैंक खातों से करोड़ों रुपये निकाले गए। इस घोटाले में कई वरिष्ठ IAS अफसरों पर आरोप हैं।
याचिका में जिन अफसरों के नाम हैं उनमें शामिल हैं:
आलोक शुक्ला, विवेक ढांड, एमके राउत, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल और पीपी सोती।
मामले में उस समय के मुख्य सचिव अजय सिंह ने स्वयं शपथ पत्र देकर माना कि 150 से 200 करोड़ रुपये तक की वित्तीय गड़बड़ी हुई है।
हाईकोर्ट की टिप्पणी और आदेश..
जस्टिस पीपी साहू और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की डिवीजन बेंच ने कहा :”यह मामला केवल लापरवाही नहीं, बल्कि एक संगठित अपराध है। ऐसे गंभीर आरोपों की जांच स्थानीय एजेंसियों या पुलिस के माध्यम से नहीं की जा सकती।”
हाईकोर्ट ने CBI को आदेश दिया है कि वह 15 दिनों के भीतर सभी आवश्यक दस्तावेज जब्त कर जांच शुरू करे।
क्या होगा आगे ?
CBI अब इस बहुचर्चित घोटाले की जांच करेगी, जिसमें बड़े प्रशासनिक नाम शामिल हैं। न्यायालय के इस आदेश के बाद अब इस बहुप्रतीक्षित घोटाले की निष्पक्ष जांच का रास्ता साफ हो गया है।

