करोड़ों की लागत से बन रहे एकलव्य विद्यालय की दीवारें टूटीं, घटिया निर्माण से बच्चों की सुरक्षा पर खतरा !

ओड़गी (सूरजपुर)। सूरजपुर जिले के ओड़गी विकासखंड स्थित पालदनौली गांव में आदिवासी बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के उद्देश्य से करीब 30 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे एकलव्य आवासीय विद्यालय के निर्माण कार्य में मानक स्तर की घोर अनदेखी सामने आई है। ठेकेदार द्वारा तय मानकों को ताक पर रखकर घटिया सामग्री का उपयोग करने से नवनिर्माणाधीन भवन की दीवारें कमजोर हैं और ईंटें हाथ लगाते ही चूर-चूर हो रही हैं, जिससे भवन के टिकाऊपन और भविष्य में बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने विभागीय अधिकारियों पर ठेकेदार से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए पूरी परियोजना में कमीशनखोरी की आशंका जताई है।

बदहाल निर्माण पर खड़े हुए गंभीर सवाल..

कमजोर गुणवत्ता : निर्माणाधीन इस भव्य इमारत की हालत बनने से पहले ही बदहाल हो गई है। स्थानीय जनप्रतिनिधि व ग्रामीणों ने मौके पर निरीक्षण किया तो पाया कि नींव धंस रही है और निर्माण में मानक के अनुरूप छड़, सीमेंट, गिट्टी और ईंट का उपयोग नहीं किया जा रहा है। गुणवत्ता इतनी खराब है कि भविष्य में किसी बड़े हादसे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।

अधिकारी नदारद : स्थानीय लोगों ने बताया कि निर्माण कार्य की गुणवत्ता की निगरानी के लिए जिम्मेदार विभागीय इंजीनियर कंस्ट्रक्शन साइट से हमेशा गायब रहते हैं और महीने में महज एक दो बार ही निरीक्षण करने आते हैं। इससे ठेकेदार मनमानी कर रहा है और नियमों को दरकिनार कर निर्माण कर रहा है।

जांच में लीपापोती : निर्माण पर लगातार उठ रहे सवालों के बीच जब बीते दिनों एक जांच टीम मौके पर पहुंची तो अफरा-तफरी मच गई।

बताया गया कि ठेकेदार के कर्मचारियों ने खराब गुणवत्ता वाली सीमेंट व ईंट को आनन फानन में जंगल में छिपा दिया ताकि जांच टीम की नज़र से बचा जा सके। टीम के जाते ही फिर से उसी सामग्री का उपयोग निर्माण में शुरू कर दिया गया।

बच्चों की सुरक्षा पर सवाल : जिला पंचायत सदस्य एवं सभापति (निर्माण विभाग) बाबूलाल सिंह मारपो ने घटिया निर्माण पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यदि विद्यालय शुरूआत में ही ऐसे हालात में है, तो जब बच्चे इसमें पढ़ेंगे तो उनकी सुरक्षा की गारंटी कौन देगा? उन्होंने इसे सरकार की छवि खराब करने वाला बताया और उच्चस्तरीय जांच की मांग की।

जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से भवन की गुणवत्ता की तत्काल जांच कराने और संबंधित विभागीय इंजीनियर व ठेकेदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही भवन निर्माण की निगरानी के लिए एक अलग टीम गठित करने की भी मांग की है। दूसरी ओर, ठेकेदार मानकों के अनुरूप काम करने का दावा कर रहा है, जबकि आदिवासी विकास विभाग के अधिकारी और केन्द्र की निर्माण एजेंसी इस पूरे मामले पर मौन हैं।