छत्तीसगढ़ में साइलेंट किलर कैंसर का कहर! हर साल 1200 से अधिक युवा हो रहे मुंह-गले के कैंसर का शिकार..

रायपुर। छत्तीसगढ़ में तम्बाकू उत्पादों का सेवन गले और मुख के कैंसर को महामारी का रूप दे रहा है। क्षेत्रीय कैंसर संस्थान, रायपुर के चौंकाने वाले आँकड़े बताते हैं कि यहाँ हर साल 1200 से अधिक मुख कैंसर के नए मरीज सामने आ रहे हैं। इनमें सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि पीड़ितों में अधिकांश 18 से 45 वर्ष के युवा शामिल हैं।

हर छह में से एक मरीज मुख-गले का कैंसर पीड़ित:

संस्थान में हर हफ्ते औसतन 6 से अधिक गंभीर मरीज इलाज के लिए पहुँच रहे हैं। कैंसर विशेषज्ञों के अनुसार, छत्तीसगढ़ और पड़ोसी राज्यों में तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट और गुटखा का अत्यधिक सेवन इस बीमारी की मुख्य वजह है। संस्थान के डॉक्टर्स के मुताबिक, कैंसर के कुल मरीजों में हर छह में से एक मरीज मुख या गले के कैंसर से पीड़ित निकल रहा है।

ग्रामीण इलाकों में बढ़ा ग्राफ, युवा निशाने पर..

डॉक्टर्स का कहना है कि पिछले कुछ सालों में छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में गले और मुख के कैंसर का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। यह मुख्य रूप से गुटखा, खैनी, बीड़ी और सिगरेट के अंधाधुंध सेवन का नतीजा है।
इलाज कराने आए कई मरीजों ने बताया कि वे रोज़ाना 20 से 25 पुड़िया तम्बाकू का सेवन करते थे। कैंसर विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि तम्बाकू को लंबे समय तक मुँह में दबाए रखने से चंद मिनटों का सुकून जीवन भर का जख्म दे रहा है।
गंभीरता:

  • 8-10 साल में मुख कैंसर के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी।
  • 14 से 20 साल के युवा भी तम्बाकू की लत में फंस रहे हैं।

सामान्य जाँच में भी हो रही कैंसर की पुष्टि..

राज्य के शासकीय डेंटल कॉलेज में भी कैंसर के केस सामने आ रहे हैं। डेंटल डॉक्टर्स ने बताया कि मसूड़ों या दांत की सामान्य बीमारी की शिकायत लेकर आने वाले कई मरीजों में जाँच के दौरान मुख कैंसर की पुष्टि हुई है। हर सप्ताह 5 से 6 ऐसे मरीज आ रहे हैं जो गुटखा या तम्बाकू के लंबे सेवन के कारण कैंसर की चपेट में आ चुके होते हैं।

5-6 साल बाद दिखता है तम्बाकू का नुकसान..

एक्सपर्ट्स के अनुसार, तम्बाकू का नुकसान 5 से 6 साल तक लगातार सेवन के बाद दिखाई देता है। पहले मुँह के भीतर घाव बनते हैं, जो धीरे-धीरे कैंसर का रूप ले लेते हैं। इसके अलावा, तम्बाकू फेफड़ों, पेट और गले के कैंसर, दिल की बीमारियाँ, साँस लेने में कठिनाई जैसी गंभीर समस्याओं को भी जन्म दे रहा है।

गायत्री डेंटल क्लीनिक की डेंटल सर्जन डॉ. रूबल पंथ ने लोगों को चेतावनी देते हुए कहा कि गले व मुँह में किसी प्रकार की समस्या है और उपचार के बाद भी यह ठीक नहीं हो रही है, तो मरीजों को इसका परीक्षण संबंधित अस्पताल में करवाना चाहिए। समय पर उपचार होने से दो तिहाई मामलों में यह रोकथाम योग्य है और इसका इलाज संभव है।

राहत की बात यह है कि क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में आयुष्मान कार्ड से मरीजों को निशुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध है।