The safety of workers is being compromised in the power plants of Chhattisgarh, the High Court expressed displeasure over the violation of rules..
बिलासपुर : छत्तीसगढ़ के कई पावर प्लांट्स में नियमों का उल्लंघन और मजदूरों की सुरक्षा से खिलवाड़ करने के मामले में हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। इन पावर प्लांट्स ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को एक दशक से भी अधिक समय तक नजरअंदाज किया है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविंद्र कुमार अग्रवाल शामिल थे, ने इस मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।
अपर महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने पिछली सुनवाई में अदालत को सूचित किया था कि 15 अक्टूबर 2024 के आदेश के अनुसार पहले ही पावर प्लांट्स का निरीक्षण किया जा चुका है और रिपोर्ट प्राप्त हुई है, जिसमें कुछ खामियां पाई गई हैं और उन पर केस दर्ज किए गए हैं। इसके लिए उन्होंने दो सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा था।
आज की सुनवाई में पेश की गई रिपोर्ट में 68 पावर प्लांट्स में फैक्ट्री एक्ट के उल्लंघन की पुष्टि हुई, जिनके खिलाफ 2024 में मामले दर्ज किए गए। सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि 31 जनवरी 2014 के आदेश के बाद 11 वर्षों में कोई सुधार नहीं हुआ, और अब जाकर कार्रवाई की गई है।
इसके अलावा, हाईकोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट में पावर प्लांट्स में काम करने वाले कुछ मजदूरों के स्वास्थ्य की जांच के लिए निजी डायग्नोसिस सेंटरों का सहारा लिया गया था, जिसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए। अदालत ने इस पर भी नाराजगी व्यक्त करते हुए पूछा कि लोगों की जिंदगी से इस तरह क्यों खेला जा रहा है।
अदालत ने महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत की अनुपस्थिति पर भी सवाल उठाए और शासन का पक्ष रखने के लिए सोमवार तक का समय दिया। अगली सुनवाई 13 जनवरी 2025 को तय की गई है।

