बिलासपुर, छत्तीसगढ़। एक तरफ है नेशनल हाईवे-30, जिसकी चमचमाती सड़क पर गाड़ियाँ फर्राटा भर रही हैं, और दूसरी तरफ है बिलासपुर से सटा दर्रीघाट का पहुँच मार्ग। यह सड़क नहीं, बल्कि गड्ढों का एक खतरनाक जाल है, जिसे देखकर लगता है कि विकास की चमक में कोई गाँव पीछे छूट गया है।


दर्रीघाट के हजारों ग्रामीण हर दिन इस बदतर सड़क पर जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। हाईवे बनने से भले ही बिलासपुर से जांजगीर और रायगढ़ का सफर आसान हो गया हो, लेकिन पुराने पुल के ऊपर से गुजरने वाला यह पहुँच मार्ग अब किसी मौत के न्योते से कम नहीं है।
अरपा किनारे का गाँव, आज बदहाली से त्रस्त..
दर्रीघाट, जो कभी अरपा नदी के सुंदर किनारे के लिए जाना जाता था, आज सिर्फ गहरे गड्ढों के लिए पहचान बना रहा है। नेशनल हाईवे के निर्माण के दौरान ठेकेदारों ने इस पुराने पहुँच मार्ग को जानबूझकर नजरअंदाज कर दिया।

नतीजा यह हुआ कि सड़क पर जगह-जगह गड्ढे उभर आए हैं, जिनकी गहराई आधे फीट तक पहुँच चुकी है। खासकर, पुराने पुल का ऊपरी हिस्सा तो अब गड्ढों का बाजार बन चुका है। बारिश के बाद तो हालात और भी बुरे हो गए,सड़क कीचड़ से भर गई है, और वाहन चालकों को लगता है, जैसे वे तैरकर जा रहे हों।
“बच्चों का स्कूल जाना सपना हो गया, एम्बुलेंस तो भूल ही जाओ”
ग्रामीणों का दर्द गहरा है। उनका कहना है कि हाईवे बनने से ट्रैफिक तो बढ़ गया, लेकिन सड़क की मरम्मत की सुध किसी ने नहीं ली।
दर्रीघाट के किसान रामू राम ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा, “हाईवे पर गाड़ियाँ दौड़ रही हैं, लेकिन हमारे गाँव तक पहुँचना तो दूर की कौड़ी हो गया। मेरा ट्रैक्टर दो दिन पहले एक गड्ढे में ऐसे फँसा कि सब्जी मंडी तक जाना मुश्किल हो गया।”
रामू जैसे कई ग्रामीणों ने बताया कि सड़क की हालत इतनी खराब है कि बच्चे स्कूल जाने से डरते हैं, और अगर रात में किसी की तबीयत बिगड़ जाए तो एम्बुलेंस का आना तो सपना हो गया है। स्थानीय लोगों के अनुसार, पिछले एक महीने में ही तीन से चार छोटी-मोटी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें दो लोग घायल भी हुए हैं।
सिर्फ आश्वासन पर टिकी जिंदगी..
स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि उन्होंने कई बार लोक निर्माण विभाग (PWD) को इस बदहाली के बारे में शिकायत की है। लेकिन उन्हें हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला है।
प्रतिनिधियों का आरोप है, “हाईवे का फायदा तो बड़े शहरों को हो रहा है, लेकिन हमारे गाँव की सड़कें पूरी तरह उपेक्षित हैं। ऐसा लगता है, जैसे नेशनल हाईवे की चमक में हमारी समस्या दबकर रह गई है।”
सवाल यह है कि नेशनल हाईवे की सुविधा देने वाले विभाग को क्या गाँवों तक पहुँचने वाले इन महत्त्वपूर्ण रास्तों की चिंता नहीं करनी चाहिए? दर्रीघाट के ग्रामीण आज भी इंतजार कर रहे हैं कि कब उनकी सड़क की किस्मत चमकेगी और उन्हें गड्ढों के इस राज से मुक्ति मिलेगी।

