The era of illegal activities in Jarhabhantha Mahant Bada is over, new path of development with the cooperation of society..
बिलासपुर। जरहाभाठा स्थित महंत बाड़ा अब समाज सुधार और विकास की नई कहानी लिखने जा रहा है। वर्षों से विवादों और असामाजिक गतिविधियों के गढ़ बन चुके इस स्थल को अब श्री हिंदू सतनामी महासभा समिति ने अपने नियंत्रण में ले लिया है। गुरुवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में आयोजित प्रेसवार्ता में समिति के पदाधिकारियों ने यह जानकारी दी और बताया कि अब महंत बाड़ा का उपयोग समाज की भलाई, शिक्षा और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए किया जाएगा।
समिति के प्रमुख पदाधिकारी डॉ. बसंत अंचल, दिनेश लहरे, एमपी कुर्रे, राजमहंत दशेराम खांडे, चौथराम भारद्वाज, रामेश्वर सुनहले और लक्ष्मी सिंहा ने प्रेसवार्ता में कहा कि पिछले कुछ वर्षों में यह पवित्र स्थल कुछ शरारती तत्वों के कब्जे में चला गया था। यहां धरना प्रदर्शन, पुतला दहन, काला झंडा लहराने और यहां तक कि नग्न प्रदर्शन जैसी घटनाएं होने लगी थीं। इसके अलावा, नशे और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों का भी यहां अड्डा बन गया था, जिससे समाज के युवाओं और नाबालिगों के बहकने का खतरा बढ़ गया था।
पदाधिकारियों ने बताया कि 15 अक्टूबर 2021 को जब राजमहंत बसंत अंचल और अन्य पदाधिकारी गुरुदर्शन मेला खेडुआपुरी धाम से लौट रहे थे, तब महंत बाड़ा के गेट के सामने 40-50 लोगों ने अचानक हमला कर दिया। इस घटना के बाद समाज में रोष फैल गया और समिति ने कानूनी कदम उठाने का फैसला किया। प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया और कोर्ट में दस्तावेजों के साथ पेश किया गया। सुनवाई के बाद, माननीय न्यायालय ने महंत बाड़ा की जमीन और भवन का स्वामित्व श्री हिंदू सतनामी महासभा समिति को सौंप दिया।
समिति पदाधिकारियों ने प्रेसवार्ता में बताया कि 25 मार्च 2025 को प्रशासन ने पंचनामा बनाकर समिति को चाबी सौंप दी। इसके साथ ही यह विवाद खत्म हो गया और अब महंत बाड़ा का नियंत्रण पूरी तरह से समिति के हाथ में आ गया है। अब यहां भव्य गुरुद्वारा का निर्माण किया जा रहा है, जो समाज के लिए एक आस्था का केंद्र बनेगा।
समिति ने समाज के लोगों से अपील की कि वे नशे और सामाजिक बुराइयों से दूर रहें और बाबा गुरु घासीदास जी के “मनखे-मनखे एक बरोबर” के संदेश पर चलें। साथ ही, समिति ने सभी से समाज की भलाई और शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने का आग्रह किया।

