बिलासपुर। भगवान को अर्पित किए जाने वाले ‘भोग’ का सनातन संस्कृति में विशेष महत्व है। इन्हीं में एक है ‘छप्पन भोग’- श्रीकृष्ण को समर्पित वह दिव्य प्रसाद, जिसमें भक्ति, भावना और पौराणिक गाथा समाहित होती है।

छप्पन भोग का पौराणिक प्रसंग..

बालकृष्ण को प्रतिदिन अष्ट पहर (दिन के 8 भाग) भोजन कराने की परंपरा थी। लेकिन जब भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से व्रजवासियों को बचाने हेतु लगातार 7 दिन तक गोवर्धन पर्वत उठाए रखा, तब उन्होंने एक बार भी अन्न-जल ग्रहण नहीं किया। जब संकट टला, तब यशोदा मैया व समस्त व्रजवासियों ने भगवान को 7 दिन के 8 पहर – यानी 7×8 = 56 व्यंजनों का भोग अर्पित किया। यही परंपरा “छप्पन भोग” के रूप में आज तक चली आ रही है।
गोपियों का उद्यापन और भक्ति..
श्रीमद्भागवत के अनुसार, गोपियों ने मां कात्यायनी की आराधना कर श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने की कामना की। मनोकामना पूर्ण होने पर उन्होंने उद्यापन स्वरूप छप्पन भोग का आयोजन किया।
गौ लोक की दिव्यता और 56 सखियां..
गौलोक में भगवान श्रीकृष्ण राधारानी संग कमलासन पर विराजते हैं। उस दिव्य कमल की पंखुड़ियों की तीन परतें होती हैं –
- पहली में 8 सखियां,
- दूसरी में 16 सखियां,
- तीसरी में 32 सखियां।
कुल 56 सखियां, जो 56 भोगों का प्रतीक हैं।
छप्पन भोग के दिव्य 56 व्यंजन..

(संक्षिप्त रूप में, श्रंगारित शैली में)
- भात | 2. दाल | 3. चटनी | 4. कढ़ी | 5. दही शाक कढ़ी |6.श्रीखंड | 7. चटनिया | 8. बाटी | 9. मुरब्बा | 10. शक्करपारा |11. बड़ा | 12. मख्खन बड़ा | 13. फेनी | 14. पूरी | 15. खाजा |16. घेवर | 17. मालपुआ | 18. चिलड़े | 19. जलेबी | 20. मेसूर पाक |21. रसगुल्ला | 22. चांदी वाली मिठाई | 23. महारायता | 24. थूली | 25. लौंगपूरी |26. खुरमा | 27. दलिया | 28. रोट | 29. सौंफयुक्त मिष्टान्न | 30. फल रायता |31. लड्डू | 32. साग | 33. अचार | 34. मोठ | 35. खीर |36. दही | 37. घी | 38. मक्खन | 39. मलाई | 40. रबड़ी |41. पापड़ | 42. बादाम सीरा | 43. लस्सी | 44. शरबत | 45. मोहन |46. सुपारी | 47. इलायची | 48. फल | 49. पान | 50. मूंगदाल की चक्की |51. नमकीन । 52. आंवला | 53. गुलकंद | 54. अदरक | 55. मैथीदाना | 56.नींबू |
छप्पन भोग – भक्ति, परंपरा और प्रेम का उत्सव..
यह भोग मात्र भोजन नहीं, एक प्रतीक है उस अपार श्रद्धा का, जो भक्त अपने ईश्वर को अर्पण करते हैं। छप्पन भोग हमें यह सिखाता है कि भक्ति में परिश्रम नहीं, प्रेम मुख्य होता है।

🔱 जय श्रीकृष्ण !!
हरि नाम ही जीवन का सार है।

