

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ शासन ने राज्य के सरकारी महकमों में सालों से जमे जुगाड़ू कर्मचारियों और अफसरों को करारा झटका दिया है। सरकार ने आदेश जारी किया है कि सभी विभागों में चल रहे अटैचमेंट यानी संलग्नीकरण को तुरंत खत्म किया जाए। अब जिस कर्मचारी की भर्ती जिस काम के लिए हुई है उसे वही काम करना होगा। शासन ने साफ कर दिया है कि अगर जिला अधिकारियों ने इस आदेश को हल्के में लिया या अपने चहेतों को नहीं छोड़ा तो उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। नए मुख्य सचिव विकास शील ने सुशासन की दिशा में यह बड़ा कदम उठाया है ताकि ई ऑफिस और बायोमेट्रिक हाजिरी जैसे सिस्टम को मजबूती से लागू किया जा सके।
शिक्षक पढ़ाना छोड़ मलाईदार कुर्सियों पर काबिज, अफसरों की सरपरस्ती में चल रहा खेल..
जिले के सरकारी दफ्तरों में यह मर्ज पुराना है। सबसे बुरा हाल शिक्षा विभाग का है जहां सैकड़ों शिक्षक स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के बजाय दूसरे विभागों के दफ्तरों में बाबू बनकर मलाई छान रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इस अटैचमेंट के पीछे ऊपर से नीचे तक हिस्सा बंटता है इसलिए जिला स्तर के अधिकारी शासन के आदेशों को रद्दी की टोकरी में डाल देते हैं। कई कर्मचारी तो ऐसे हैं जो सालों से अपने मूल विभाग का चेहरा तक नहीं देखे हैं। अब देखना होगा कि शासन की इस नई सख्ती के बाद साहब अपने इन चहेतों को कार्यमुक्त करते हैं या फिर कोई नया बहाना ढूंढ लेते हैं।
मुख्य सचिव का नया सिस्टम : अब काम चोरी पर लगेगी लगाम..
प्रशासनिक गलियारों में चर्चा है कि मुख्य सचिव विकासशील ने काम के तरीके को सुधारने के लिए एक पूरी चेन तैयार की है। पहले बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य की गई ताकि वक्त की पाबंदी रहे फिर ई ऑफिस के जरिए फाइलों की सुस्ती दूर करने की कोशिश हुई और अब अटैचमेंट खत्म कर मैनपावर को सही जगह लगाने की तैयारी है। जानकार बताते हैं कि अगर इस आदेश को कड़ाई से लागू किया गया और आदेश न मानने वाले कलेक्टर या विभाग प्रमुखों को सस्पेंड करने जैसी कार्रवाई हुई तभी यह अव्यवस्था सुधरेगी।
जिले के कई विभागों में अभी भी ऐसे रसूखदार कर्मचारी तैनात हैं जो अपनी ऊंची पहुंच के कारण आदेशों को हवा में उड़ा देते हैं। शासन की यह कोशिश अच्छी है लेकिन सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि निचले स्तर पर इसका पालन कितना ईमानदारी से होता है।



