The CAMPA branch of Chhattisgarh’s forest headquarters is a hub of corruption – the role of a clerk posted there for many years is under suspicion..
छत्तीसगढ़ वन विभाग के मुख्यालय स्थित कैम्पा शाखा में लंबे समय से व्याप्त भ्रष्टाचार की जड़ में एक ही नाम सामने आता है – अनीश खुटरे, जो पिछले कई वर्षों से एक ही पद पर जमे हुए हैं। कैम्पा योजना के तहत पिछले शासनकाल में आवंटित 5,000 करोड़ रुपये के बजट की बंदरबांट में इनकी भूमिका अत्यंत संदिग्ध रही है।

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, यह बाबू पूर्व मंत्रियों और प्रभावशाली व्यक्तियों के बीच बजट, मदवार राशि, और फील्ड अधिकारियों की अंदरूनी जानकारी साझा करता था। इसके आधार पर फील्ड स्तर पर डराने-धमकाने और अवैध वसूली का सिलसिला चलता रहा। दुर्भाग्यवश, सरकार बदलने के बाद भी न तो इस पदस्थापना पर कोई बदलाव आया और न ही भ्रष्टाचार की जांच।
शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि एक ही स्थान पर वर्षों से जमे बाबूओं को अन्यत्र स्थानांतरित किया जाए, परंतु अनीश खुटरे आज भी उसी कुर्सी पर विराजमान हैं। मंत्रालय में अधिकांश बाबू स्थानांतरित हो चुके हैं, पर वन मुख्यालय इस नियम से अछूता क्यों है?

इतना ही नहीं, एक रिटायर्ड अधिकारी को भी संविदा के आधार पर वर्षों से नियुक्त किया गया है, जो इस पूरे नेटवर्क का अहम हिस्सा बताया जा रहा है। यह दोनों अधिकारी उच्च पदस्थ अफसरों के ‘विशेष कृपापात्र’ हैं और इन्हीं की शह पर वर्षों से भ्रष्टाचार का खेल निर्बाध रूप से चलता रहा है।
छत्तीसगढ़ शासन इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराए और कैम्पा शाखा में व्यापक “प्रशासनिक सर्जरी” कर तत्काल प्रभाव से इन अधिकारियों और बाबुओं को पद से हटाया जाए, अन्यथा वन विभाग की साख और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठते रहेंगे।

