The audacity of land mafia in Bilaspur: Land grabbed with fake power of attorney, on the other hand, the growing network of illegal plotting in Devrikhurd.. illegal plotting is happening without town and country planning..

बिलासपुर, 10 अप्रैल। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में भू-माफियाओं के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। ताजा मामले में, शातिर भू-माफियाओं ने पंजीयन कार्यालय में एक महिला को मोहरा बनाकर धोखे से फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी (मुख्तियारनामा) हासिल कर ली और एक भोले-भाले जमीन मालिक की संपत्ति को दो अलग-अलग व्यक्तियों को बेच डाला। इस चौंकाने वाली धोखाधड़ी का खुलासा तब हुआ जब असली मालिक को अपनी जमीन पर दूसरों का कब्जा मिला। पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, लेकिन इस घटना ने क्षेत्र में भू-माफियाओं के बढ़ते दुस्साहस और प्रशासन की कथित निष्क्रियता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पीड़ित उमेंद्र राम भार्गव, जो जरहाभाठा के निवासी हैं, ने 3 अक्टूबर 2020 को मायादेवी नामक महिला से देवरीखुर्द स्थित खसरा नंबर 38/12 की लगभग 2400 वर्ग फीट जमीन खरीदी थी। दुर्भाग्यवश, कुछ अपरिहार्य कारणों से वे इस जमीन का दाखिल-खारिज (नामांतरण) नहीं करा पाए थे। इसी कमजोरी का फायदा उठाकर कुख्यात भू-माफिया बजरंग प्रसाद गौतम ने एक गहरी साजिश रची। उसने मायादेवी के नाम पर एक मिलती-जुलती महिला का फर्जी पहचान पत्र बनवाया और उसे गवाहों के साथ पंजीयन कार्यालय में पेश कर फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी अपने नाम करवा ली।
सूत्रों की मानें तो भू-माफिया ने इसके बाद फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन की फर्द (बी-1 और बी-2) और यहां तक कि एक फर्जी ऋण पुस्तिका भी तैयार कर ली। अपनी इस काली करतूत को अंजाम देते हुए बजरंग प्रसाद ने उमेंद्र राम भार्गव की उसी जमीन का सौदा आनन-फानन में 9 जनवरी 2020 को सुषमा गुप्ता और अरविंद गुप्ता नामक दो व्यक्तियों से कर दिया। चौंकाने वाली बात यह है कि 13 फरवरी को इस जमीन की रजिस्ट्री भी इन दोनों के नाम पर करा दी गई। जब कोरोना महामारी की लहर कुछ कमजोर पड़ी और उमेंद्र अपनी जमीन पर पहुंचे, तो उन्हें वहां सुषमा और अरविंद का कब्जा देखकर गहरा सदमा लगा। अपनी गाढ़ी कमाई से खरीदी गई जमीन को इस तरह हड़प लिया गया देख, पीड़ित ने तत्काल कलेक्टर अवनीश शरण का दरवाजा खटखटाया। कलेक्टर ने मामले की गंभीरता को समझते हुए एसडीएम मनीष साहू को तत्काल जांच के आदेश दिए, जिसकी पड़ताल में भू-माफियाओं का यह घिनौना खेल उजागर हो गया। अब पीड़ित की रिपोर्ट पर सिविल लाईन पुलिस ने बजरंग प्रसाद गौतम और उसके साथियों के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।
इस पूरे प्रकरण में स्थानीय राजस्व विभाग के कुछ कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है। सवाल उठ रहे हैं कि कैसे एक फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर जमीन की रजिस्ट्री हो गई और तत्कालीन पटवारी, राजस्व निरीक्षक (आरआई) जैसे अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। पुलिस जांच के बाद यदि इन अधिकारियों की मिलीभगत साबित होती है, तो उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
देवरीखुर्द में भी..
यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब देवरीखुर्द और आसपास के इलाकों में अवैध प्लाटिंग का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है। बिना टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएनसी) की अनुमति और रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) में पंजीकरण कराए ही जमीनों को छोटे-छोटे टुकड़ों में बेचा जा रहा है, जिससे खरीदारों के साथ धोखाधड़ी की आशंकाएं बढ़ गई हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन इस अवैध धंधे पर लगाम लगाने में पूरी तरह से नाकाम रहा है, जिसके चलते भू-माफियाओं के हौसले सातवें आसमान पर हैं।देवरीखुर्द के बूटापारा, दोमुहानी और विजयनगर जैसे क्षेत्रों में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं, और आम नागरिक अपनी जमीनों को लेकर डर के साये में जी रहे हैं।

