दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्राहकों के करोड़ों के बोनस घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने बड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में वन विभाग के 4 कर्मचारियों और 7 समिति प्रबंधकों समेत कुल 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन सभी आरोपियों को दंतेवाड़ा जिला न्यायालय में पेश किया गया, जहाँ से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। यह कार्रवाई सुकमा वनमंडल में वर्ष 2021 और 2022 के तेंदूपत्ता सीजन में हुए 7 करोड़ रुपए से अधिक के घोटाले से जुड़ी है, जिसमें श्रमिकों को मिलने वाला बोनस फर्जीवाड़े से आपस में बांट लिया गया था।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और वन मंत्री केदार कश्यप ने तेंदूपत्ता बोनस वितरण में हुई गड़बड़ी की जांच के आदेश दिए थे। जांच में खुलासा हुआ कि सुकमा वनमंडल के कोंटा, किस्टाराम और गोलापल्ली परिक्षेत्रों में संग्राहकों को दो साल का बोनस मिलना था, लेकिन उन्हें सिर्फ एक साल का और वह भी अधूरा भुगतान किया गया। चौंकाने वाली बात यह है कि कई फर्जी नामों और मृत व्यक्तियों के नाम पर भी बोनस उठाया गया।
जिला पंचायत सदस्य हुंगाराम मरकाम ने बताया कि वर्ष 2021 और 2022 के लिए बोनस के तौर पर सुकमा वनमंडल को लगभग 6.54 करोड़ रुपए मिले थे। यह राशि करीब 66,000 संग्राहकों को दी जानी थी, लेकिन समिति प्रबंधकों ने अप्रैल में ही पूरी राशि निकाल ली और अगले 8 महीनों तक संग्राहकों को कोई भुगतान नहीं किया गया। अधिकारियों ने नक्सल प्रभावित क्षेत्र का हवाला देते हुए 3.62 करोड़ रुपए के नकद वितरण की अनुमति भी ली, लेकिन वह राशि भी वितरित नहीं हुई।
इस घोटाले के सामने आने पर EOW ने 8 अप्रैल 2025 को धारा 409, 120बी भादवि के तहत मामला दर्ज किया था। गहन जांच के बाद साक्ष्य मिलने पर वन विभाग के 4 कर्मचारी चैतूराम बघेल (उप वनक्षेत्रपाल), देवनाथ भारद्वाज (उप वनक्षेत्रपाल), पोड़ियामी इड़िमा (उप वनक्षेत्रपाल), मनीष कुमार बारसे (वनरक्षक) और 7 समिति प्रबंधक पायम सत्यनारायण उर्फ शत्रु, मोहम्मद शरीफ, सी एच रमना, सुनील नुप्पो, रवि कुमार गुप्ता, आयतू कोरसा और मनोज कवासी को गिरफ्तार किया गया है।
घोटाले में सुकमा के तत्कालीन डीएफओ अशोक कुमार पटेल का नाम भी सामने आया है, जिन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर करोड़ों के घोटाले को अंजाम दिया था। सरकार ने सुकमा के वनमंडलाधिकारी को निलंबित कर उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तारी भी की है। जांच के बाद 4 कर्मचारियों और 7 समितियों के प्रबंधकों को उनके पदों से हटा दिया गया है और संचालक मंडलों को भंग कर दिया गया है।

