बिलासपुर । मानसून की पहली बारिश के साथ ही बिलासपुर जिले में जहरीले सांपों का आतंक बढ़ गया है। बीते एक महीने में जिलेभर से सर्पदंश के कुल 64 मामले सामने आए हैं, जिसने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। इन मामलों में से दुखद रूप से 4 लोगों की जान चली गई, जिनमें हाल ही में 8 साल की एक बच्ची भी शामिल है। राहत की बात यह है कि शेष 60 मरीजों को समय पर उपचार मिलने से उनकी जान बचाई जा सकी।
Cims अस्पताल बना जीवन रक्षक..
सर्पदंश के सभी मरीजों को तत्काल इलाज के लिए स्थानीय सिम्स (छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) अस्पताल लाया गया। यहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने त्वरित और प्रभावी इलाज कर 98 प्रतिशत मरीजों की जान बचाने में सफलता हासिल की। सिम्स प्रबंधन ने बताया कि उन्होंने बारिश से पहले ही अपने डॉक्टरों और स्टाफ को सर्पदंश प्रबंधन का विशेष प्रशिक्षण दिया था, जिसका नतीजा है कि इतनी बड़ी संख्या में मरीजों की जान बचाई जा सकी।
खेतों और घरों में शिकार बन रहे लोग..
सर्पदंश के अधिकांश मामले मस्तूरी, तखतपुर, कोटा और सीपत जैसे ग्रामीण इलाकों से सामने आए हैं। इन क्षेत्रों में लोग खेतों में काम करते समय या फिर घरों में पानी भरने और नालियों की सफाई करते वक्त जहरीले सांपों का शिकार बन रहे हैं। मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, सर्पदंश के शिकार 64 मरीजों में 42 पुरुष और 22 महिलाएं शामिल थीं, जिनकी उम्र 12 से 60 वर्ष के बीच थी।
22 एंटी वेनम भी नहीं बचा सके बच्ची की जान..
सबसे हृदय विदारक घटना तिफरा क्षेत्र में सामने आई, जहां सोमवार सुबह करीब 4 बजे घर में सो रही 8 वर्षीय एक बच्ची को कॉमन करैत सांप ने डस लिया। बच्ची अपनी दादी के साथ बिस्तर पर सोई थी और सांप ने तकिए के पास उसके हाथ पर काट लिया। परिजन तुरंत बच्ची को जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसकी जान बचाने के लिए 22 एंटीवेनम इंजेक्शन लगाए। हालांकि, बच्ची की हालत बेहद गंभीर होने के कारण उसे आईसीयू में भर्ती कराया गया, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।
झाड़ फूंक से बचें, सीधे अस्पताल जाएं..
स्वास्थ्य विभाग और सिम्स प्रबंधन ने सर्पदंश के मामलों में जनता से विशेष सावधानी बरतने की अपील की है। उनका कहना है कि सर्पदंश होने पर झाड़ फूंक के अंधविश्वास में न पड़कर तत्काल मरीज को नजदीकी अस्पताल ले जाना चाहिए। समय पर मिलने वाला उपचार ही सर्पदंश के मामलों में जान बचाने का एकमात्र प्रभावी तरीका है। बारिश के मौसम में सांपों का घरों और आसपास के इलाकों में निकलना सामान्य है, ऐसे में लोगों को सतर्क रहना और सुरक्षित उपायों का पालन करना बेहद जरूरी है।

