बिलासपुर। बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) एक बार फिर आर्थिक अनियमितताओं के मामलों में घिरा हुआ है। समय-समय पर सिम्स में घोटाले और गड़बड़ियों के मामले सामने आते रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश इनकी जांच रिपोर्ट कभी भी सार्वजनिक नहीं होती। इससे यह स्पष्ट होता है कि केवल जांच की औपचारिकता पूरी की जाती है, पर कार्रवाई नदारद रहती है। हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने सिम्स का दौरा किया, जिसमें एक और अनियमितता का पर्दाफाश हुआ।
स्वास्थ्य मंत्री के निरीक्षण के दौरान यह बात सामने आई कि सिम्स द्वारा बेतुके खर्चे के प्रस्ताव बनाए गए थे। इनमें तीन हजार रुपये की एक बेडशीट और 75,000 रुपये के सीसीटीवी कैमरे की खरीदी का प्रस्ताव शामिल था। यह प्रस्ताव सामान्य बाजार दरों से कहीं अधिक थे। एक साधारण बेडशीट, जो कि बाजार में 150 से 200 रुपये तक उपलब्ध है, उसके लिए 3,000 रुपये का प्रस्ताव बनाया गया। इस मामले ने मंत्री को भी हैरान कर दिया। अगर इस प्रकार के प्रस्तावों पर ध्यान नहीं दिया जाता तो बड़ी आर्थिक गड़बड़ियों को अंजाम दिया जा सकता था।
सिम्स में गड़बड़ियों का इतिहास नया नहीं है। पहले भी यहां कई घोटालों की खबरें सामने आई हैं, जिनमें प्रमुख रूप से लांड्री घोटाला, भर्ती घोटाला, मशीन खरीदी में घोटाला, और कबाड़ घोटाला शामिल हैं। इन सभी मामलों में जांच तो बिठाई गई, लेकिन जांच रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गई। यह समस्या इस कारण बढ़ती है क्योंकि जांच अधिकारी के रूप में वही लोग नियुक्त किए जाते हैं, जो संभवतः खुद इन गड़बड़ियों में शामिल होते हैं या जिन्हें इन गड़बड़ियों का संरक्षण प्राप्त होता है।
साल 2013-14 के भर्ती घोटाले की एसआईटी (विशेष जांच टीम) द्वारा जांच की गई थी, जिसमें अनियमितताओं का पर्दाफाश हुआ था। हालांकि, रिपोर्ट शासन को सौंपी गई, पर इसे सार्वजनिक नहीं किया गया। यह भी उल्लेखनीय है कि घोटालों के जरिए नौकरी पाने वाले लोग अब नियमित कर्मचारी बन चुके हैं।
सिम्स में लांड्री मशीन घोटाला एक अन्य बड़ा मामला था। इसमें यह पाया गया कि 59 लाख रुपये की लांड्री मशीन, जिसकी वास्तविक कीमत केवल 18 लाख रुपये थी, खरीदी गई थी। इस मामले की जांच शुरू तो हुई, लेकिन जांच रिपोर्ट अब तक दबा दी गई है। इसी प्रकार के और भी कई छोटे-बड़े घोटाले सिम्स में हुए हैं, जिन पर समय-समय पर जांच बिठाई गई, लेकिन उनकी रिपोर्ट नदारद रही।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल द्वारा इन मामलों पर कड़ा रुख अपनाया गया है और उन्होंने स्पष्ट किया है कि सिम्स में हुई सभी गड़बड़ियों को खंगाला जाएगा। मंत्री ने सख्त आदेश दिए हैं कि पुरानी गड़बड़ियों की फाइलें फिर से खोली जाएं ताकि सच सामने आ सके और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो सके।
नए डीन रमणेश मूर्ति ने भी स्पष्ट किया है कि सिम्स में अक्सर गड़बड़ियों के मामले सामने आते रहे हैं और वे इन मामलों की जांच करेंगे। उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि यदि पुरानी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाती तो इससे भविष्य में भी गड़बड़ियों का सिलसिला चलता रहेगा।
सिम्स में घोटालों और अनियमितताओं का सिलसिला लंबे समय से चल रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जांच तो होती है, परंतु रिपोर्ट कभी सामने नहीं आती और दोषी लोग बिना किसी सजा के बच निकलते हैं। स्वास्थ्य मंत्री और नए डीन द्वारा दिखाए गए रुख से यह उम्मीद जगी है कि शायद अब सिम्स में चल रही आर्थिक अनियमितताओं पर रोक लग सकेगी और दोषियों को उनके कृत्यों की सजा मिल सकेगी। लेकिन जब तक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होती, तब तक ये उम्मीदें सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह सकती हैं।

