Saint is a saint only in name, his name is coming up in the 100 crore scam, this mistake happened during the Corona period..

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के लोक निर्माण विभाग (PWD) में 100 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला सामने आया है, जिसमें विभाग के अधीक्षण अभियंता के.पी. संत की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। आरोप है कि कोरोना काल के दौरान, जब देशव्यापी लॉकडाउन लागू था, तब भी बिलासपुर मंडल में 50 करोड़ रुपये के मस्टर रोल और लगभग इतनी ही राशि के पीस वर्क ऑर्डर जारी किए गए। यह सवाल उठता है कि जब सभी गतिविधियां ठप थीं, तब यह धनराशि कहां और कैसे खर्च की गई।
इसके अतिरिक्त, के.पी. संत पर शासकीय आवासों के दुरुपयोग के आरोप भी लगे हैं। अंबिकापुर में पदस्थापना के दौरान, उन्होंने शासकीय बंगले को शाही अंदाज में सजाने के लिए विभागीय धन का उपयोग किया, जिससे लगभग 35-40 लाख रुपये का खर्च बताया जा रहा है।
चिंताजनक बात यह है कि अंबिकापुर स्थानांतरण के बाद भी, उन्होंने बिलासपुर स्थित शासकीय बंगला खाली नहीं किया। दो वर्षों तक दोनों स्थानों पर शासकीय आवासों का कब्जा बनाए रखा, जबकि नियमानुसार एक अधिकारी एक समय में केवल एक ही शासकीय आवास रख सकता है। वर्तमान में, बिलासपुर वापसी के बाद भी, अंबिकापुर का बंगला उनके कब्जे में है, जिससे नए अधीक्षण अभियंता को आवास संबंधी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
इन आवासों की देखरेख के लिए विभागीय मजदूरों का उपयोग किया गया, जिससे सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग स्पष्ट होता है। बिलासपुर कलेक्टर कार्यालय के समीप स्थित बंगले की सफाई और रखरखाव के लिए विभाग के 10 मजदूर तैनात थे, जो नियमों का उल्लंघन है।
इन गंभीर आरोपों के बावजूद, के.पी. संत के खिलाफ अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। विभागीय मंत्री और उपमुख्यमंत्री के निवास के निकट स्थित इस बंगले की स्थिति और अधिकारी की शाही ठाठ ने लोकनिर्माण विभाग में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को ओर ध्यान दिलाया है

