बिलासपुर। छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग में एक बार फिर दागी अधिकारी को उच्च पद पर पदस्थ करने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। जिस खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) विजय टांडे को तत्कालीन कलेक्टर ने रिश्वत मांगने के आरोप में पद से हटाया था और विभागीय जांच के आदेश दिए थे, उन्हीं को अब बिलासपुर जिले का जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) बना दिया गया है। उनके खिलाफ लंबित विभागीय जांच का भी अब तक कोई अता पता नहीं है। विजय टांडे को डीईओ बनाने का आदेश जारी होते ही शिक्षकों के व्हाट्सएप ग्रुपों में उनकी गड़बड़ियों से जुड़े पुराने दस्तावेज तेजी से वायरल हो रहे हैं।

10 जुलाई को शिक्षा विभाग द्वारा जारी तबादला आदेश में विजय टांडे को बिलासपुर जिले का डीईओ नियुक्त किया गया है। गौरतलब है कि सिर्फ चार महीने पहले ही तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण ने उन्हें कोटा बीईओ के पद से रिश्वतखोरी के आरोप में हटा दिया था। यह मामला विधवा शिक्षिका नीलम भारद्वाज से जुड़ा है, जिन्होंने अपने शिक्षक पति की मृत्यु के बाद लंबित वेतन और अन्य भुगतानों के लिए विजय टांडे (तत्कालीन बीईओ, कोटा) और उनके लिपिक एकादशी पोर्ते द्वारा 1.34 लाख रुपये की रिश्वत मांगने की शिकायत जनदर्शन में कलेक्टर अवनीश शरण से की थी।
शिक्षिका ने बताया था कि उनके पति शासकीय स्कूल पोड़ी में कार्यरत थे और उनकी मृत्यु के दस महीने बाद भी अर्जित अवकाश की राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा था। जब उन्होंने कोटा विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में आवेदन किया, तो विजय टांडे और एकादशी पोर्ते ने दो महीने के वेतन के बराबर 1.34 लाख रुपये की मांग की। 3 मार्च 2025 को शिक्षिका की शिकायत पर कलेक्टर अवनीश शरण ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर जांच के निर्देश दिए थे।
जांच में सामने आया कि शिक्षिका के आवेदन पर छह महीने के अर्जित अवकाश की राशि स्वीकृत की गई थी, जो प्रतिमाह 67 हजार रुपये वेतन के आधार पर थी। बीईओ विजय टांडे और लिपिक द्वारा दो महीने का वेतन यानी 1.34 लाख रुपये बतौर कमीशन मांगा जा रहा था। अर्जित अवकाश का चेक बन चुका था, लेकिन कमीशन न मिलने के कारण शिक्षिका को चेक नहीं दिया जा रहा था। जांच में मामले की पुष्टि होने के बाद लिपिक एकादशी पोर्ते को निलंबित कर दिया गया, जबकि खंड शिक्षा अधिकारी विजय टांडे को कलेक्टर अवनीश शरण ने बीईओ के पद से हटाकर खुरदुर कोटा के प्राचार्य के पद पर कार्य करने के आदेश दिए थे। इस मामले में विभागीय जांच के आदेश भी दिए गए थे।
शिक्षिका का पैसा अपने खाते में रख लिया था..
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि चेक बनने के बाद इसे शिक्षिका के खाते में भुगतान किया जाना था, लेकिन खंड शिक्षा अधिकारी विजय टांडे ने इसे अपने खाते में जमा करवा लिया था। दिसंबर 2024 से निकला यह पैसा मार्च 2025 तक उनके खाते में ही रहा। इसे वित्तीय भ्रष्टाचार मानते हुए विभागीय जांच की अनुशंसा भी की गई थी, लेकिन अब तक यह जांच नहीं की गई। इसके उलट, उन्हें डीईओ पद का तोहफा दे दिया गया।
शिक्षक पोस्टिंग में भी धांधली में शामिल रहे..
कोटा बीईओ रहते हुए विजय टांडे शिक्षक पोस्टिंग में धांधली के मामलों में भी शामिल थे। सितंबर 2022 में प्रदेश स्तर पर शिक्षकों का स्थानांतरण हुआ था। इसी सूची में बिल्लीबंद के शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक शैलेश यादव का स्थानांतरण शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय धौराभांटा, बिल्हा ब्लॉक में हुआ था। शिक्षक शैलेश यादव को बिल्हा ब्लॉक के धौराभांटा स्कूल में ज्वाइन करना था, लेकिन विजय टांडे ने 17 अक्टूबर 2022 को आदेश जारी कर उन्हें बिल्लीबंद स्कूल से हटाते हुए कोटा ब्लॉक के धौराभांटा स्कूल में ही ज्वाइन करवा दिया। जबकि स्थानांतरण आदेश में स्पष्ट था कि कोटा ब्लॉक के बिल्लीबंद स्कूल से बिल्हा ब्लॉक के धौराभांटा स्कूल में ट्रांसफर हुआ है। खास बात यह है कि कोटा के धौराभांटा स्कूल में पद भी रिक्त नहीं था। शिक्षक शैलेश यादव का वेतन दो साल तक उनके पुराने स्कूल बिल्लीबंद से ही निकलवाया जाता रहा।

