Royalty scam worth crores in Katghora forest division: Big financial manipulation under CAMPA in three years.. After Marwahi, now Katghora is also under the scanner..
बिलासपुर :- छत्तीसगढ़ के कटघोरा वन मंडल में कैंपा (कम्पेंसटरी अफॉरेस्टेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी) मद में करोड़ों रुपये के रॉयल्टी घोटाले का मामला सामने आया है। यह घोटाला वर्ष 2019 से 2022 के बीच हुआ।जांच का विषय यह हैं कि मरवाही वन मंडल और कटघोरा वन मंडल में रॉयल्टी घोटाला एक साथ ही हुए है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, विभाग में पदस्थ कई अधिकारियों और कर्मचारियों ने ठेकेदारों के साथ मिलकर बिना रॉयल्टी पर्ची जमा लिए ही बिलों का भुगतान कर दिया गया,जिससे शासन को राजस्व के रूप में मिलने वाली करोड़ों रुपए का बडी हानि हुई हैं। जबकि नियम के अनुसार, ठेकेदारों (सप्लायर)द्वारा अगर गिट्टी, मुरूम, बोल्डर, रेती, पत्थर जैसे खनिज सामग्री का बिल वन विभाग में दिया जाता है और वन विभाग दिए गए खनिज की रॉयल्टी पर्ची (पीट पास)जमा नहीं किया जाता है, तो वन विभाग को रॉयल्टी की राशि रोककर शेष भुगतान करना होता हैं। परंतु यहां इस नियम का पालन नहीं किया गया और बिना रॉयल्टी पर्ची जमा किए ही बिल का पूरा भुगतान कर दिया गया हैं। मरवाही वन मंडल और कटघोरा वन मंडल के क्षेत्रों में हुए भ्रष्टाचार से लिफ्ट कार्यों को लेकर कई बार विधानसभा में सवाल उठाए गए है, तो इन आधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर विधानसभा में भी झूठी जानकारी दे दी गई। बड़े नेताओं और बड़े अधिकारियों का आशीर्वाद इन आधिकारियों और कर्मचारियों पर होने के कारण आज तक कोई भी कार्यवाही नहीं हुई।
स्टेट ऑडिट की भूमिका पर भी सवाल..
इस घोटाले के उजागर होने के बाद स्टेट ऑडिट विभाग की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है। बताया जा रहा है कि जब स्टेट ऑडिट टीम जांच करने आई, तो उसने बिना किसी गहनता से जांच किए बगैर ही सभी बिलों को ‘ओके’ कर दिया और घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश की। इस घोटाले के और बड़े पैमाने पर फैलने की संभावना जताई जा रही है, क्योंकि छत्तीसगढ़ के कई वन मंडलों में इसी प्रकार के मामलों के उजागर होने की आशंका है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सेंट्रल ऑडिट टीम द्वारा जांच की जाती है, तो घोटाले की सही तस्वीर सामने आ सकती है। राज्य के कई वन मंडलों में इसी तरह के वित्तीय हेरफेर की खबरें भी आने लगी हैं, जिससे यह मामला और गंभीर हो गया है।
सीबीआई और सेंट्रल ऑडिट टीम से जांच की मांग..
इस घोटाले को लेकर पूर्ववर्ती सरकार और वन विभाग पर भाजपा ने भी निशाना साधा है। भाजपा सहित कई राजनीतिक दलों ने इस मामले की सीबीआई और सेंट्रल ऑडिट टीम से जांच कराने की बात कही है। उनका कहना है कि भूपेश सरकार की स्टेट ऑडिट टीम ने जानबूझकर घोटाले को नजरअंदाज किया था जिससे राज्य की जनता का पैसा ठेकेदारों और अधिकारियों की जेब में चला गया।
आरोप है कि घोटाले के चलते कैंपा परियोजना की जानकारी को केंद्रीय सर्वर पर लोड नहीं किया जा रहा है, ताकि जांच में रुकावट पैदा की जा सके।
मरवाही से बड़ा घोटाला कटघोरा में होने की आशंका..
सूत्रों के अनुसार, हाइकोर्ट में सुनवाई के बाद 121 एनिकेट(छोटे बांध) निर्माण में हुए खनिज सामग्री की सप्लाई में “रॉयल्टी पर्ची गड़बड़ी घोटाला” मरवाही वन मंडल में सामने आया। यह रॉयल्टी घोटाला, केवल एक छोटा हिस्सा हो सकता है। कटघोरा वन मंडल में इससे भी बड़े घोटाले के संकेत मिल रहे हैं। यह मामला सामने आने के बाद छत्तीसगढ़ के अन्य वन मंडलों में भी वित्तीय अनियमितताओं की जांच की जाएं तो ऐसी ही घटनाएं देखने को मिल सकती हैं।
वन विभाग के अधिकारी इस मामले में अभी तक चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन जल्द ही इस पर उच्चस्तरीय जांच शुरू होने की संभावना है।

