सुप्रीम कोर्ट से पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को राहत: नियमित जमानत मंजूर..

Relief to former Advocate General Satish Chandra Verma from Supreme Court: Regular bail granted..

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले से जुड़े मामले में नियमित जमानत प्रदान की है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की खंडपीठ ने यह निर्णय सुनाया।

सतीश चंद्र वर्मा पर आरोप था कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए नान घोटाले के मुख्य आरोपियों, अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला, को जमानत दिलाने में मदद की। इससे पहले, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, राज्य सरकार की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने वर्मा की जमानत का विरोध किया। हालांकि, न्यायमूर्ति नाथ ने कहा, “हमने प्रस्तुत चैट को पढ़ा है, इसमें कोई भी ऐसा शब्द नहीं है जिससे नान के आरोपियों को लाभ मिला हो, क्योंकि उनकी जमानत पहले ही हो चुकी थी।”

न्यायालय ने राज्य सरकार के वकील को फटकार लगाते हुए कहा कि यदि वे अधिक बहस करेंगे, तो अदालत शासन के खिलाफ टिप्पणी करने पर मजबूर हो जाएगी। इस पर, राज्य सरकार के वकील ने कहा कि वे एक सप्ताह तक वर्मा की गिरफ्तारी नहीं करेंगे। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा को नियमित जमानत प्रदान करने का आदेश जारी किया।

यह मामला तब सामने आया जब आयकर विभाग ने वर्मा और नान घोटाले के आरोपियों के बीच व्हाट्सएप चैट बरामद की, जिसमें आरोप लगाया गया कि वर्मा ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए आरोपियों को जमानत दिलाने में मदद की। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन आरोपों को पर्याप्त नहीं माना और वर्मा को राहत दी।

इस फैसले के बाद, वर्मा के समर्थकों में खुशी की लहर है, जबकि राज्य सरकार के लिए यह एक झटका माना जा रहा है। नान घोटाला छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख मामला है, जिसमें कई उच्च पदस्थ अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं।

इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि न्यायपालिका ने तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर निष्पक्ष निर्णय लिया है, जिससे वर्मा को न्याय मिला है।