देवदूत बनकर आए ‘रियल हीरोज’ : गेवरा-बिलासपुर रेल हादसे के बाद गांव के युवाओं ने बचाईं कई जिंदगियां..

बिलासपुर। गेवरा रोड-बिलासपुर मार्ग पर बीते दिन 4 नवंबर को हुए दर्दनाक रेल हादसे में अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है। मेमू पैसेंजर ट्रेन की खड़ी मालगाड़ी से टक्कर के बाद घटनास्थल पर अफरा-तफरी मच गई थी। इस संकट की घड़ी में ग्राम कटोरा और गतौरा के कुछ युवाओं ने साहसिक कदम उठाकर अनेक जिंदगियां बचाईं और पूरे क्षेत्र के लिए मानवता की मिसाल पेश की है।

हादसे के तुरंत बाद मौके पर पहुंचे ग्रामीण..

हादसा होते ही गांव के सोनू बघेल, उनके पिता बैसाखू बघेल और उनके साथी कमलेश पात्रे, सोदान पात्रे, भैरव निषाद, जितेन्द्र गेन्डले और संतोष बिना किसी देरी के घटनास्थल पर पहुंचे। ट्रेन के डिब्बे बुरी तरह क्षतिग्रस्त थे और यात्री अंदर फंसे हुए थे। चीख-पुकार के बीच इन युवाओं ने बहादुरी दिखाते हुए फंसे हुए घायलों को बाहर निकालना शुरू किया। जिनकी हालत ज्यादा गंभीर थी, उन्हें तुरंत आसपास मौजूद वाहनों से अस्पताल पहुंचाया गया।

लोहे के टुकड़े से घायल मासूम को बचाने का प्रयास..

राहत कार्य के दौरान इन युवाओं को मलबे में लगभग दो साल का एक मासूम बच्चा मिला। बच्चे के पेट में लोहे का बड़ा टुकड़ा धंसा हुआ था। सोनू बघेल और उनके साथियों ने उसे बचाने की भरसक कोशिश की, लेकिन आवश्यक उपकरणों के अभाव में वे सफल नहीं हो पाए। बाद में बचाव दल पहुंचने पर बच्चे को बाहर निकाला गया, हालांकि उसकी हालत नाजुक बनी हुई थी।

सोशल मीडिया बनी परिजनों की मददगार..

घायलों की पहचान सुनिश्चित करने और उनके परिजनों तक जानकारी पहुंचाने के लिए इन युवाओं ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने अपने मोबाइल से घायलों की फोटो और वीडियो लेकर तुरंत सोशल मीडिया पर साझा किए। उनकी इस त्वरित पहल से कई परिवारों को अपने प्रियजनों का पता चला और अस्पताल में इलाज के लिए जल्दी मदद भी पहुंची।

संकट के असली नायक बने गांव के युवा..

रेलवे और प्रशासनिक टीम को घटनास्थल तक पहुंचने में कुछ समय लगा, लेकिन तब तक सोनू बघेल और उनके साथी कई यात्रियों की जान बचा चुके थे। स्थानीय लोग और अधिकारी इन युवाओं के साहस और निस्वार्थ सेवा की जमकर तारीफ कर रहे हैं। ग्राम कटोरा के ये सातों साथी बिलासपुर रेल हादसे के असली नायक बन गए हैं, जिन्होंने संकट के समय में मानवता की अद्भुत मिसाल कायम की है।