बिलासपुर छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों को बड़ी राहत दी है। अब प्राइवेट स्कूल निजी प्रकाशकों की किताबें भी चला सकेंगे, लेकिन इसके लिए उन्हें सीबीएसई द्वारा जारी दिशा निर्देशों का पालन करना होगा। कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि अगर स्कूल इन नियमों का उल्लंघन करते हैं, तो राज्य सरकार उन पर कार्रवाई कर सकती है।

शिक्षा अधिकारियों के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक..
दरअसल रायपुर, बिलासपुर समेत 11 जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि सभी सरकारी और गैर-सरकारी स्कूलों में पहली से दसवीं कक्षा तक सिर्फ एनसीईआरटी और एससीईआरटी की ही किताबें चलाई जाएंगी। अगर कोई स्कूल ऐसा नहीं करता है, तो उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी। इस आदेश के बाद स्कूलों में हड़कंप मच गया था।
क्यों दायर की गई थी याचिका?
जिला शिक्षा अधिकारियों के इस आदेश के खिलाफ छत्तीसगढ़ निजी स्कूल प्रबंधन संघ के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की। याचिका में इस आदेश को गलत और कानून के खिलाफ बताया गया। याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि निजी स्कूलों पर निजी प्रकाशकों की किताबें खरीदने पर अनुचित प्रतिबंध न लगाया जाए।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और पाया कि याचिकाकर्ता का स्कूल सीबीएसई से संबद्ध है, न कि छत्तीसगढ़ शिक्षा बोर्ड से। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि केवल एनसीईआरटी और एससीईआरटी की किताबें खरीदने की शर्त सही नहीं है। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए निजी स्कूलों को कुछ शर्तों के साथ निजी प्रकाशकों की किताबें चलाने की अनुमति दे दी।
शर्तें क्या हैं?
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि प्राइवेट स्कूलों को सीबीएसई द्वारा 12 अगस्त 2024 को जारी अधिसूचना के दिशा निर्देशों का पालन करना होगा। इसका मतलब है कि स्कूल उन दिशा निर्देशों के दायरे में रहते हुए ही निजी प्रकाशनों की किताबों का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर वे नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो राज्य सरकार को उन पर कार्रवाई करने का अधिकार होगा। इस फैसले के बाद, अब निजी स्कूलों को अपनी किताबें चुनने में थोड़ी आजादी मिल गई है, लेकिन उन पर सरकारी एजेंसियों की नजर बनी रहेगी।

					