

बिलासपुर। जिले में अब तक चार रेत घाटों की ऑनलाइन नीलामी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इस ऑनलाइन प्रक्रिया ने बोली लगाने वालों की संख्या को ढाई गुना तक घटा दिया है। चौंकाने वाला खुलासा यह है कि जरगा, कुकुर्दीकला-2 और निरतू जैसे सिर्फ तीन घाटों की नीलामी में ही शासन को सीधे 91 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। चार में से केवल एक ही घाट बिलासपुर के बोलीदार को मिल पाया है, जबकि तीन घाटों का ठेका दूसरे जिलों के लोगों को मिला है। बाकी बचे दो बड़े घाटों उदईबंद-2 और उदईबंद-3 की नीलामी शुक्रवार को प्रार्थना सभा भवन में होगी। अगर ज्यादा आवेदन मिले तो शनिवार को लॉटरी निकाली जाएगी।
दूसरे जिलों के ठेकेदारों का दबदबा..
खनिज विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, यह पहली बार है जब रेत घाटों की नीलामी ऑनलाइन माध्यम से की जा रही है। अब तक जरगा, कुकुर्दीकला-2, निरतू और लमेर घाट का ठेका हो चुका है।
जरगा रेत घाट का ठेका पेंड्रा निवासी नेहा शिवदासानी को मिला है।
कुकुर्दीकला-2 घाट धमतरी जिले की मालती को मिला।
निरतू घाट रायपुर के अमित यादव को मिला।
केवल लमेर घाट ही बिलासपुर जिले के गतौरा निवासी रविकुमार मधुकर को मिला है।
उदईबंद के दो घाटों की नीलामी के बाद नीलाम घाटों की कुल संख्या छह हो जाएगी।
उदईबंद में दो बड़े घाटों की होगी नीलामी..
शुक्रवार को जिन घाटों की नीलामी होनी है, वे काफी बड़े हैं। उदईबंद-2 घाट का क्षेत्रफल 11 हेक्टेयर है जबकि उदईबंद-3 का एरिया 13 हेक्टेयर का है। दोनों घाटों को मिलाकर इनका क्षेत्रफल 24 हेक्टेयर हो जाता है। इससे पहले उदईबंद में एक घाट का ठेका पहले भी हो चुका है। इससे पहले सीजन में इतने बड़े घाट का ठेका नहीं हुआ है।
सिंडिकेट टूटने से लोगों को राहत, पर सरकारी आय घटी..
पहले जब नीलामी ऑनलाइन नहीं होती थी, तो हजारों की संख्या में आवेदन मिलते थे। चर्चा थी कि शराब ठेकों की तरह रेत घाट लेने में भी रसूखदार लोग अपने लोगों के फॉर्म भरवाते थे। ठेका जिसके नाम निकलता था, चलाता कोई और था। ठेकेदार सिंडिकेट बनाकर लोडिंग चार्ज बढ़ाते थे, जिससे रेत की कीमत आसमान छूने लगती थी और आम लोगों को इसकी मार झेलनी पड़ती थी।
अब ऑनलाइन नीलामी से कम आवेदन आ रहे हैं। तीन घाट जरगा, कुकुर्दीकला-2 और निरतू की नीलामी में सिर्फ 733 लोगों ने ही बोली लगाई। इससे शासन को आवेदन और प्रक्रिया शुल्क के रूप में 73 लाख रुपये की आय हुई। जबकि दो साल पहले कछार, लोफंदी और कुकुर्दीकला में कुल 1640 आवेदन मिले थे, जिनसे शासन को 1 करोड़ 64 लाख रुपये मिले थे। पिछली नीलामी से तुलना करें तो विभाग को 91 लाख रुपये का सीधा घाटा हुआ है।



